Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti

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Page 530
________________ पञ्चदश अध्ययन ४९५ संतिविभंगा संतिकेवलिपन्नत्ताओ धम्माओ भंसिज्जा, न सक्का न सोउं सद्दा, सोतविसयमागया।रागदोसा उजे तत्थ, ते भिक्खू परिवजए।१।सोयओ जीवे मणुन्नामणुन्नाइं सद्दाइं सुणेइत्ति पढमा भावणा॥१॥ __ अहावरा दुच्चा भावणा-चक्खुओ जीवो मणुन्नामणुन्नाइं रूवाइं पासइ, मणुन्नामणुन्नेहिं रूवेहिं सज्जमाणे जाव विणिघायमावजमाणे संतिभेया जाव भंसिजा-नो सक्का रूवमदऔं चक्खुविसयमागयं। राग दोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवजए, चक्खुओ जीवो मणुन्ना २ इं रूवाइं पासइत्ति, दुच्चा भावणा। ___ . अहावरा तच्चा भावणा-घाणओ जीवे मणुन्नामणुनाई गंधाइं अग्घायइ मणुन्नामणुन्नेहिं गंधहि नो सजिजा नो रजिजा जाव नो विणिघायमावजिज्जा, केवली बूया-मणुनामणुन्नेहिं गंधेहिं सज्जमाणे जाव विणिघायमावजमाणे संतिभेया जाव भंसिजा-न सक्का गंधमग्घाउं, नासाविसयमागयं। रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जए।१। घाणओ जीवो मणुन्नामणुन्नाइं गंधाइं अग्घायइत्ति तच्चा भावणा॥३॥ अहावरा चउत्था भावणा-जिब्भाओ जीवो मणुन्नामणुन्नाइं रसाइं अस्साएइ, मणुन्नामणुन्नेहिं रसेहिं नो सजिजा जाव विणिघायमावजिजा, के वली बूया-निग्गंथे णं मणुन्नामणुन्नेहिं रसेहिं सजमाणे जाव विणिघायमावजमाणे संतिभेया जाव भंसिजा-न सक्का रसमस्साउं, जीहाविसयमागयं। रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवजए।१। जीहाओ जीवो मणुन्नामणुन्नाई रसाइं अस्साएइत्ति चउत्था भावणा॥४॥ अहावरा पंचमा भावणा-फासओ जीवो मणुन्नामणुन्नाइं फासाइं पडिसंवेदेइ मणुन्नामणुन्नेहिं फासेहिं ने सजिजा जाव नो विणिघायमावजिजा, के वली बूया-निग्गंथे णं मणुन्नामणुन्नेहिं फासेहिं सज्जमाणे जाव विणिघायमावजमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलीपन्नत्ताओ धम्माओ भंसिजा न सक्का फासमवेएउं, फासविसयमागयं। रागदोसा उ जे तत्थ ते भिक्खू परिवजए।१।फासओ जीवो मणुनामणुनाई फासाइं पडिसंवेदेइ पंचमा

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