Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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श्री आचाराङ्ग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध मूलम्- तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति।
तत्थिमा पढमा भावणा-नो निग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सिया, केवली बूया , निग्गंथेणं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलीपन्नत्ताओ धम्माओ भंसिज्जा, नो निग्गंथेणं अभिक्खणं२ इत्थीणं कहं कहित्तए सियत्ति पढमा भावणा॥१॥
अहावरा दुच्चा भावणा-नो निग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए निज्झाइत्तए सिया, केवली बूया-निग्गंथे णं इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाइं आलोएमाणे निझाएमाणे संतिभेया संतिविभंगा जाव धम्माओ भंसिज्जा, नो निग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए निज्झाइत्तए सियत्ति दुच्चा भावणा॥२॥
अहावरा तच्चा भावणा-नो निगंथे इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सुमरित्तए सिया, केवली बूया. निग्गंथे णं इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, नो निग्गंथे इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरित्तए सियत्ति तच्चा भावणा ॥३॥
अहावरा चउत्था भावणा-नाइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे न पणीयरसभोयणभोई से निग्गंथे, केवली व्या०-अइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे, पणियरसभोयणभोई संतिभेया जाव भंसिज्जा, नाइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो पणीयरसभोयणभोइत्ति चउत्था भावणा॥४॥
अहावरा पंचमा भावणा-नो निग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाइं सेवित्तए सिया, केवली बूया-निग्गंथे णं इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवेमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा नो निग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाइं सेवित्तए सियत्ति पंचमा भावणा॥५॥
एतावया चउत्थे महव्वए सम्मं काएण फासिए जाव आराहिए यावि भवइ चउत्थं भंते ! महव्वयंः।
छाया- तस्येमाः पंच भावनाः भवन्ति
तत्र इयं प्रथमा भावना-नो निर्ग्रन्थः अभीक्ष्णं २ स्त्रीणां कथां कथयितां स्यात्, केवली ब्रूयात् निर्ग्रन्थः अभीक्ष्णं २ स्त्रीणां कथां कथयन् शान्तिभेदाः शान्तिविभंगाः
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