Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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पञ्चदश अध्ययन
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कोडिन्नागुत्तेणं, समणस्स णं धूया कासवगोत्तेणं, तीसे णं दो नामधिज्जा एवमा० - अणुजा इवा, पियदंसणाइवा, समणस्सणं भ० नत्तुई कोसियागुत्तेणं, तीसे णं दो नाम० तं० सेसवई इ वा, जसवई इ वा॥१७७॥
छाया- श्रमणो भगवान् महावीरः काश्यपगोत्रः तस्य इमानि त्रीणि नामधेयानि एवमाख्यायन्ते, तद्यथा अम्बापितृसत्कं वर्द्धमानः, सहसंमुदितः श्रमणः। भीमं भयभैरवं उदारमचलं परीषहसह इतिकृत्वा देवैः तस्यनाम कृतं श्रमणो भगवान् महावीरः। श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य पिता काश्यपगोत्रः तस्य त्रीणि नामधेयानि एवमाख्यायन्ते तद्यथासिद्धार्थ इति वा श्रेयांस इति वा यशस्वी इति वा। श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य अम्बा, वासिष्ठ गोत्रा तस्याः त्रीणि नामधेयानि एवमाख्यायन्ते, त्रिशला इति वा, विदेहदत्ता इति वा, प्रियकारिणी इति वा। श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य पितृव्यः, सुपार्श्वः काश्यपगोत्रः, श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य ज्येष्ठो भ्राता नन्दिवर्द्धनः काश्यपगोत्रः, श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य ज्येष्ठा भगिनी सुदर्शना काश्यपगोत्रा। श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य भार्या यशोदा कौडिन्यगोत्रा। श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य दुहिता काश्यपगोत्रा, तस्याः द्वे नामधेये, एवमाख्यायेते, तद्यथा अनोज्जा इति वा प्रियदर्शना इति वा। श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य दौहित्री काश्यपगोत्रा तस्याः द्वे नामधेये एवमाख्यायेते तद्यथा-शेषवती इति वा यशस्वती इति वा।
___ पदार्थ- समणे भगवं महावीरे-श्रमण भगवान महावीर। कासवगुत्ते-काश्यप गोत्री। णंवाक्यालंकार में है। तस्स-उसके।इमे-ये।तिन्नि-तीन। नामधिज्जा-नाम। एवमाहिजंति-इस प्रकार कहे जाते हैं। तंजहा-जैसे कि। अम्मापिउसंतिए-माता-पिता की ओर से दिया गया। वद्धमाणे-वर्द्धमान नाम था। सहसंमुइए समणे-स्वाभाविक गुण से उत्पन्न हुआ श्रमण अर्थात् सम भाव धारण करने से तथा अत्यन्त घोर तप करने से श्रमण कहलाए एवं। भीमं-रौद्र। भयभेरवं-अत्यन्त भय के उत्पन्न करने वाला।उरालं-प्रधान।अचेलयंअचल। परीसहंसहतिकटु-परीषहों के सहन करने से। देवेहि-देवों ने। से-उनका-वर्द्धमान का। समणे भगवं महावीरे-श्रमण भगवान महावीर ऐसा। नामकयं-नाम रखा। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान् महावीर के। पिया-पिता। कासवगुत्तेणं-काश्यप गोत्रीय थे। तस्स णं-उसके। तिन्नि-तीन। नामनाम कहे गए हैं। तं-जैसे कि। सिद्धत्थे इ वा-सिद्धार्थ यह। सिजंसे इ वा-श्रेयांस यह। जसंसे इ वा-और यशस्वी यह तीन नाम थे। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान महावीर की। अम्मा-माता। वासिट्ठस्सगुत्ता-वासिष्ठ गौत्र वाली। तीसे णं-उसके। तिन्नि नाम०-तीन नाम कहे गए हैं। तं-जैसे कि। तिसला इ वा-त्रिशला इति। विदेहदिन्ना इ वा-विदेह दत्ता और। पियकारिणी इ वा-प्रियकारिणी इति। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान महावीर के।पित्तिअए-पितृव्य-पिता के भाई। कासवगुत्तेणं -काश्यप गोत्री का। सुपासे-सुपार्श्व नाम था। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान महावीर के।
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