Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
२४६
श्री आचाराङ्ग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध
व्यस्त रहना उसकी विराट् साधना का प्रतीक है, इससे उसके आत्म चिन्तन की स्थिरता का स्पष्ट परिचय मिलता है। इस तरह प्रस्तुत सूत्र में दिया गया आदेश साधुत्व की विशुद्ध साधना के अनुकूल ही प्रतीत होता है।
'त्तिबेमि' की व्याख्या पूर्ववत् समझें ।
॥ प्रथम उद्देशक समाप्त ॥