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मैं कौन है। "
[१९ है, क्यों एक निर्बल हैं, क्यों एक धनवान हैं, क्यों एक निर्धेन है, क्यों एक जल्दी मरता है, क्यों एक दीर्घकालं जीती है, क्यों एक शांत स्वभावी है, क्यों एक क्रोध स्वभावी हैं, क्यों एक चतुर है, क्यों एक मुखे है। ___शिक्षक-आपकी प्रश्न बहुत उपयोगी है और अच्छी तरह समझने लायक है। पहले हम आपको एक दृष्टांत देकर बतविंगें। यदि हमने रुईके बने कपड़ेसे ५० कुरते बनवाए और हमने 'पचासों कुरतोंको पचास किस्मकें रंगोंमें घोल करके रंगीन कर दिया। अब वे कुरते एक रुई जातिके सफेद होनेपर भी विचित्र दीख रहें हैं। इसका कारण मिन्न२ प्रकारके रंगका संयोग है। इसी तरह इस आत्माके साथ किसी ऐसे जड पदार्थका सम्बन्ध है जो नाना प्रकारका है। इसी कारण जगतके संसारी जीवोंमें भिन्नता दिख रही है। पहला सम्बन्ध तो इस दिखनेवाले मोटे शरीरसे ही है। सबका शरीर एकसा नहीं है, परन्तु यह तो छूटता है व फिर दुसरी मिलती है। एक ऐसा महीन जड़ पदार्थ इस संसारी आत्माके सार्थ रहता है जिसके असरसे इसकी दशा भीतरी व बाहरी तरहरकी होती है। इस सूक्ष्म जड़ पदार्थको कार्मण शरीर (Karmio-bodya या कारण शरीर कहते हैं। इस स्थूल शरीरके छूटनेपर भी वह साथ रहता है। उसीके असरसे पशु, पक्षी, पुरुष, स्त्री, गाय, भैंस, हिरण, मक्खी, चींटी, लटं, वृक्ष आदि रूपधारी होता है। उसीके असरसे भीतरी व बाहरी देशी जीवोंकी होती है। यह कार्मण शरीर सूक्ष्म जड़ कंघोसे बनती है जिनको कार्मर्णवर्गणा (Barmig molecules ) कहते हैं। हम सब संसारी जीव जब कुछ भी अपने मनसे, वचनसे