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आस्रव और बंध तत्व। कहते हैं । जिसको सत्य व असत्य कुछ भी कहा जासके ऐसे विचार व वचनको अनुभव मन या वचन कहते है।
सात काययोग-कायकी क्रियाके निमित्तसे आत्माके प्रदेगोंका हलन चलन काय योग है । सात प्रकारकी कायकी क्रिया होती है वे सात काय है
(१) औदारिक काय योग (२) औदारिक मिश्र काय योग, (३) वैक्रियिक काय योग, (४) वैक्रियिक मिश्र काययोग, (५) आहारक काय योग, (६) आहारक मिश्रकाय योग, (७) कार्मण काय योग। ___मनुष्य तथा तीर्यचोंके पर्याप्त अवस्थामें औदारिक काययोग होता है। अपर्याप्त अवस्थामें औदारिक मिश्रकाय योग होता है। औदारिक कायका कार्मण कायसे मिश्रण होता है। देव तथा नारकियोंके पर्याप्त अवस्थामें क्रियिक काययोग होता है । अपर्याप्त अवस्थामें वैक्रियिक मिश्र काययोग होता है । वक्रियिक काय और कार्मणकायका मिश्रण होता है। ___आहारक समुद्घातके समय आहारक शरीर बनता है, उसके बनते हुए आहारक मिश्र काययोग होता है, बन जानेपर आहारक काययोग होता है।
विग्रह गतिमें कार्मण काययोग होता है। जब एक शरीरसे दूसरे शरीरमें जीव जाता है, तब बीचमें तैजस कार्मण दो सूक्ष्म शरीर सहित जीव जाता है। उनमें से कार्मणकायके निमित्तसे आत्माका हलनचलन होता है, इससे वहां कार्मण काययोग होता है। कर्मोके आत्रक और बन्धके कारण पांचों भाव पहले गुणस्थानसे लेकर तेरहवें गुण