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आस्रव और बंध तत्व।
[१५७
६
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१४४
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सष्टम सप्तम षष्ठम
१६०
३५२
पंचम
३८४ ४१६
चतुर्थ तृतीय द्वितीय प्रथम
१७६ १९२ २०८ १०४ २२४ २४० १२० २५६ / १२८
४४८ ४८० ५१२
११२
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जोड़.... ३२०० १६०० ८००, ४००, २००, १००
इस नकोसे विदित होगा कि ४८ समयोंके आठ आठ समयोंके छः विभाग किये गये है। पहले भागमें पहले समयमें ५१२ कर्म' झडेंगे, फिर ३२, ३२ कम होने है । आठवेंमें २८ झडेंगे, दूसरे भागके पहले समयमे २५६, आठवमें १४४ इस तरह छठे भागके आठवें समयमे केवल ९. ही अडेगे। इस भागको गुणहानि कहते है। उसके कालको गुणहानि आयाम कहते है। यह हिसाब आयु कर्मके विना सात कर्मों के लिये है। आयु कर्मकी आबाधा बन्धनेके पीछे जहांतक मरे नहीं वहां तक है, फिर उस आयु कर्मका बटवारा उस आयुके समयोंमें होजाता है और कर्म समय२ झड़ते हैं। ____कर्म बन्धनेके पीछे आबाधा काल पीछे झडने लगते है । अहंत समय यदि निमित्त अनुकूल होता है तो फल दिखाकर अडते है नहीं तो विना फल दिखाए अडते हैं। जैसे चारों कपायोंका बन्ध एक साथ किया था व उनकी स्थिति भी बराबर पड़ी थी तब