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विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा । मात्माके न पहुंचता है न उनका रुधिर, परन्तु जो कुछ धर्म पालने हो वही वहां पहुंचता है।
शिप्य-इनमे तो फलादि खानेकी आज्ञापं कही है, इनपर मानवोंको चलना चाहिये। ___ 'शिक्षक-ठीक है, जगतके मानव किसी कारणसे अपनी आढने जैसी बना लेते है वैसा चलने हे । मानवका खाद्य आजकल सागादि ही है। अब मैंने कुछ धर्मका विवेचन तुम्हारे हितके लिये किया है, उनपर नित्य मनन करो। और यह उपदेश लाभकारी हो तो दूसरोंको भी इसका लाभ देओ।
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