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ARJUNA
विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा ६ ताम्बूल-खाउंगा या नहीं या कितने खाऊँगा, ७ लौकिक गाना" बजाना करूंगा या सूनूगा या नहीं, या के दफै।' ८ लौकिक नाच' नाटक देखेंगा या नहीं। • ब्रह्मचर्य पालंगा या नहीं ? १० स्नान कै दफे करूंगा ? ११ आभूषण कितने पहनूगा ? १३ वस्त्र कितने' जोड 'काममें लूंगा ? १४ वाहनपर चढंगा या नहीं या कौनरपर चढूंगा ११४ कितने प्रकारके आसनोंपर बैठगा ? १५ कितने प्रका-' रकी शय्यापर सोऊंगा । १६ हर फल तरकारी इतनी खाऊंगा। १७ कुल खानपानकी इतनी वस्तु लंगा जैसे ढाल, चावल कढ़ी आदि। ___ इस शिक्षावतके पालनेवालेका किन्हीं वस्तुओको यम रूप जन्मभग्के लिये त्याग करदेना चाहिये। जैसे-मास. मदिरा,मधुको व त्रस सहित फलोंको। जैसे-वड फल, पीपल फल. गूलर, पाकर, अंजीर, गोमी, केतकी आदिके फूलोको व आल. घुईया आदि कंदमूलोंको। फूलोंमें त्रस जंतु भी बैंठ रहने है। तथा कंदमूल या फूलोंमें साधारण कायका दोष आता है। एक शरीरके स्वामी अनेक एकेंद्रिय जीव हों, उनको साधारण काय कहते है। मक्खनको न खाकर उसको ४८ मिनटके भीतर गर्म करके घी बना लेवे ।।
(४) अतिथि संविभाग-जो संयमको पालने हुए प्रमण करने है उनको अतिथि या साधु कहते है । उनको अपने ही लिये बनाए हुये आहारमेंसे विभाग करके देना । साधुको नौ प्रकार भक्ति करके दान देवे।
१-प्रतिग्रह-यहा आहारपान शुद्ध है, ऐसा तीनवार हकर साधुको भीतर लेजाना । २. उच्चस्थान-विराजमान करवा, ३ . पाद-प्रक्षालन करना, ४ पूजन करना, " तीन प्रदक्षिणा दे नम