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धावकोंका आचार।
[१९३ त्याग. २.-मांसका त्याग, ३..मधुका त्याग । मधुके लिये मक्खियोंका छत्ता नोडकर उनको काट दिया जाता है व छत्तसे एकत्रित मधुमें बहुतसी मक्खियां मर जाती हैं, ४ -सकल्पी-निरर्थक हिंसाका त्याग. ५ स्थूल अपत्यका त्याग, ६ -स्थल चोरीका त्याग, ७ -परस्त्रीका त्याग, ८--अतितृष्णाका त्याग या परिग्रह प्रमाण। ___(२) व्रत प्रतिमा-पहली सब क्रियाओंको पालता हुआ बारह बनोंको पालता है । पाच अणुव्रतोंके पच्चीस अतीचारोंको बचाकर पालना है। सात शीलके अनीचारोंके बचानेका उपाय रखता है। सामायिक जितनी देर होसके एक समय भी कर सक्ता है । अष्टमी चौदयको उपवास न होसके नो एकापन भी कर सक्ता है । कभी असमर्थ हो तो सामायिक व प्रोपधोपवास नहीं भी करे।
(३) सामायिक प्रतिमा--पहली सब क्रियाओको पालता हुआ नीन काल सवेरे दोपहर व साझको ४८ मिनट या दो घडी अतीचारोंको टालकर सामायिक करे। कभी ४८ मिनटसे कुछ कम अंतमुहूर्त भी कर सकता है।
(४) मोपधोपवास प्रतिमा- पिछली सब क्रियाओंको पालता हुआ महीनेमें चार दिन उत्तम. मध्यम, जघन्य प्रोषध शक्तिके अनुसार करे, पांच अनीचाराको टाले ।
(५) सचित्त त्याग प्रतिमा--पिछली सब क्रियाओंको पालता हुआ एकेन्द्रिय सहित सचित्त पानी न पीचे न पिलावे, सचित्त तरकारी फलादि न खाये न खिला। यह पानीको गर्म या प्राशुक कर सकता है व फलादिको प्राशुक कर सत्ता है । छिन्नभिन्न करनेसे, गर्म करनेसे फलादि सचित्तसे अचित्त होजाने है । यह दयावान है,