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जैनधर्म और हिंदू दर्शन ।
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God and observe prayer and give alms in public and in private from what we have bestowed upon them, may hope for a merchandize that shall not perish ( 20-30 ) .
भा० - जो कोई अपनेको पवित्र रखेगा वह अपने ही को पवित्र करता है । परमात्मा के पास अंतिम सबको एकत्र होना होगा। वास्तव में जो परमात्मा की पुस्तक पढ़ेंगे, प्रार्थना करेंगे व जो कुछ हमने उनको दिया है, उसमेंमे सर्व साधारणको व गुप्त रीतिसे दान करेंगे उनको ऐसा सौदा मिलेगा जो कभी नष्ट नहीं होगा ।
(6) )S 6 – May Lord embraceth all things in knowledge भावार्थ- परमात्मा सर्व बातोंको जाननेवाला है ।
1713 ( S 6 ) - Those who turn to God, and those who serve, who praise, who fast, who bow down, who protect themselves, who enjoin what is just and forbid what is evil and keep to the bounds of God-wherfore bear these good traings to the faithful (110)
भावार्थ - जो परमात्मा परभक्तियुक्त है, जो सेवाधर्म पालते हे, जो स्तुति करते हैं, उपवास करते है, झुकते है व स्वयं दण्डवत करते हैं, जो कुछ न्याय हैं उसपर चलते हैं, बुराईका निषेध करते है, परमात्मा की मर्यादामें रहते हैं। ईमानदारोंको यही अच्छी खबर देना चाहिये ।
शिष्य- इससे यद्यपि गूढ आत्मध्यानका पाठ नहीं झलकता है तथा भक्तिमार्ग व शुभ काम करनेकी प्रेरणा मिलती है तथा जीवन