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विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा |
तुममे कहता हूं, मास व रक्त परमात्मा के राज्यको नहीं के सक्ते । वास्तवमे हम सब सोएंगे नहीं कितु बदल जावेगे ।
(6) Cornithians 11 Ch 217 dou the Lord is that spirit and where the spirit of the Lord is There is liberty, 18 But we all, with open face beholding as in a glass the glory of the Lord, are changed into the same image from glory to glory, even by the spirit of the Lord Ch 13-11 be perfect, be of good comfort, be of one mind, live in the peace and the God of love and peace shall be with you
भावाथ कोरनिथियंस ( २ ) कहते है,
परमात्मा वही वह आत्मा है जहा परमात्मा रूप आत्मा है, वहीं स्वाधीनता हे | कितु हम सब जब खुले हुए मुखमे दर्पणकी तरह परमात्माके ऐश्वर्यका दर्शन करते रहते है, उसी रूपमे बदल जाते है । परमात्मामई आत्माके द्वारा ज्योतिसे ज्योति रूप होजाते है- पूर्ण हो, उत्तम सुखी हो, एकाग्र हो, शातिमे रहो, प्रेम व शातिमई परमात्मा तुम्हारे साथ रहेगा ।
(7) Galatians Ch 5 - 21 - Envying, murder, drunkenness, etc that they which do such things shall not inherit the kingdom of God 5 For every mass shall bear his own burden गैलेशियन्स - कहते है । ईर्पा, हिसा, मद्यपानादि जो ऐमे । काम करते हे वे परमात्मा के राज्यको नहीं प्राप्त करसक्ते । क्योकि हरएक मानवको अपना ही भार स्वय सहना होगा ।
शिष्य इन पापोसे तो यही सिद्ध होता है कि आत्मध्यान ही मोक्षका उपाय है व अहिंसा ही धर्म है । यही बात जैन सिद्धातने बताई है, फिर ईसाइयोंका ध्यान इस तत्वपर क्यों नहीं है ?