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श्रावकोंका आंचार।
[१८३ immmmmmmmmümin मिलती है । साधु 'अवस्थामें जिन कार्योंको विशेप करना होता है उनको अभ्यास करके शिक्षा लेना शिक्षावत हैं। ' • (१) सामायिक-समय आत्माको कहते है। आत्मा सम्बंधी वीतराग विज्ञानमय शुद्ध भावाकी या समता भावोंकी प्राप्ति करना मामायिक है। सामायिक ध्यानका साधन है, बहुत ही उपयोगी है. मनकी शुद्धिका उपाय है. पापोंको क्षय करनेवाला है। '
सामायिकी विधि-प्रात:काल, मध्यान्ह काल, सायंकाल तीन समय छ• छः घडी काल सामायिकका है। मध्यम चार घड़ी जघन्य दो घडी है। एक बड़ी २४ मिनटकी होती है। जितनी देर सामायिक करनी हो उसकी आधी देर पहले व आधी देर पीछे लेवे । जैसे-2८ मिनिट सामायिक करनी हो तो सूर्योदयसे २४ मिनट पहलेने २४ मिनट सूर्योदय तक करे । यदि कार्यवश न बन सके ना ७२ मिनट पहलेमे लेकर ७२ मिनट पीठतक १४४ मिनटके वीचमें कभी भी दो घड़ी या ४८ मिनट सामायिक करले । एकात स्थानमें बैठे, जहा मनको डिगानेवाले शब्द व काम न हों ।। चटाई, पाटा, पत्थरकी शिलापर करे । मनको उतनी देरके लिये सर्वः कामोंमे रोकले । गरीरपर जितनं कम बम्ब हों उतना ठीक है। ___ पूर्व या उत्तरको तरफ मुंह करके कायोत्सर्ग खडा होकर हाथ लटकाके नौटफे णमोकार मंत्र पढ़कर दंडवत करे। तव प्रतिज्ञा करले कि जबतक सामायिक करता हूं जो कुछ मेरे पास है व चारों तरफ थोड़ी जगहके
और सब मुझे त्याग है। फिर उसी दिशाकी तरफ खड़ा हो नौदफे या तीन दफे णमोकार मंत्र पढ़कर तीन आवर्त एक गिरोनति करे। जोड़े हुए हाथोंको वासे दाहने धुमानेको आवर्त कहते हैं व जोड़े हुए हाथोंपर