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आस्रव और बंध तत्व।
[१४१ तथा गरीर, लाठी अजीव पुद्गलका सम्बन्ध भी है। इसलिये आलक व बंधके दो अधिकरण बताए गए है--एक जीवाधिकरण दूसग अजीवा-- धिकरण । जीवाधिकरण या जीवरूपी आधारके एकसो आठ भेद है----
शिष्य-क्या आप १०८ भेद बताएंगे ? ।
शिक्षक हरएक कामके करनेका इरादा किया जाता है।' इसको संरम्भ कहते है, फिर उस कामके करनेका प्रबंध किया जाता है इसको समारम्भ कहते है। फिर उस कामको शुरू किया जाता है इसको आरम्भ कहते है । जैसे दान देनेका भाव या इरादा करना संरम्भ है। दानके लिये चीजका लाना समारम्भ है । दान पात्रको देना सो आरम्भ है । इस हराएकके लिये मन, वचन, काय तीनाका प्रयोग जीव द्वारा होसक्ता है । जैसे-मनसे इरादा करना, वचनसे उसे कहना, कायके अंगसे उसको प्रकाश करना, तब संरम्भ समारम्भ, आरम्भको मन, वचन, कायसे गुणनेसे नौ भेद होंगे।
कोई काम स्वयं किया जाता है, कोई कराया जाता है, किसी कामकी अनुमोदना कीजाती है । जैसे-स्वयं करनेका विचार करना आदि, किसीसे करानेका विचार करना आदि, किसीने कोई काम कियाहै उसपर प्रसन्नताका भाव मनमें करना, वचनसे कहना, कायसे वताना तथा प्रसन्नताका इरादा करना, प्रसन्नतावतानेका प्रबंध करना, प्रसन्नता बता देना । इस तरह नौको कृतकारित व अनुमोदनासे गुणा करनेसे सत्ताईस २७ भेद होते है। अच्छे या बुरे किसी भी काम करनेके लिये कपायकी प्रेरणा होती है। कोई काम, क्रोधवश, कोई मानवा, कोई मायाचारीसे व कोई लोभवश किया जाता है। इस तरह २७ को ४ से गुणा करनेपर १०८ भाव जीवके होसक्ते है