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जानेमें बीचमे एक मोडा होगा।
मोडा लगेगा | चौदहवें अयोग गुणस्थानमे भी जीव अनाहारक होताहै । वहा किसी पुद्गल को नही ग्रहण करता है क्योंकि वहा खींचनेवाला योग नहीं है ।
विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा
(१) गति - तिर्येच गति । (२) इन्द्रिय-पंचेद्रिय ।
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इस शकलमें अको एक
सर्व संसारी जीवोंके इन चौदह मार्गणाओंमेंसे कोई न कोई मार्गणा अवश्य होती है। जबकि चौदह गुणस्थानोमेंसे एक ही गुणस्थान एक जीवके एक समयमे होता है। जैसे एक मिथ्यादृष्टि कुत्तेके ऊपर विचार करें जो हमारे सामने बैठा हुआ रोटी खारहा है । तो नीचे प्रकार चौदह मार्गणाएं होंगी
(३) काय - त्रस काय |
(४) योग - मन, वचन, काय तीनों योग
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(५) वेद - तीनों संभव है. यद्यपि वह बाहर से पुल्लिंग है परन्तु उसके भावोंमे तीनों प्रकार के भाव होसते है । एक दफे एक प्रकारका कामभाव होगा। नपुंसकवेद दोनोंका मिश्रित कामभाव होता है। (६) कषाय--कोचादि चारो होसक्ती है । एक समयमे एक कोई होगी ।
(७) ज्ञान -- कुमति, कुश्रुत दो ज्ञान है । यह अज्ञानी है। एक समयमे एक ज्ञान होगा |
(८) संयम - असंयम है क्योंकि अहिंसादि व्रत नहीं है ! (९) दशन--अचक्षु, चक्षु दो दर्शन है । एक दफे एक होगा।