________________
१३४]
विद्यार्थी जैन धर्म शिक्षा मास वाकी रहनेपर छठा त्रिभाग ४० दिन बाकी रहनेपर. सातवा त्रिभाग १३ दिन ८ घंटे बाकी रहनेपर.आठवा त्रिभाग ४ दिन १० घंटे ४० मिनट बाकी रहनेपर आयगा। इनमेसे किसी त्रिभागमें आयु बंध जायगी। जब एक दफे बंध जायगी तब आगेके त्रिभागोंमें भावोंके अनुसार उनकी स्थितिमे कम व अधिकपना होसक्ता है। आयुका बंध सातवें गणस्थान तक ही होता है इसलिये सातवें गणस्थान तकके जीवोंके आयु बंधके समय आठो कर्मोका बंध होगा। जब आयुकर्म नहीं बधेगा तब सात कर्मोका बंध होगा। दसवें गुणस्थानमें मोहनीय कर्मको छोडकर छ. कर्मोका ही बंध होगा। ११. १२ व १३मे गुणस्थानमें केवल एक साता वेदनीय कर्मका ही बध होगा।
शिष्य-आपने बताया कि शुभ उपयोगसे पुण्य बंध होता है, अशुभ उपयोगसे पाप बंध होता है, ज्ञानावरणादि चार घातीय कर्म पाप है यह भी आप बता चुके है तब शुभ उपयोगसे पापकर्म कैसे बंधेगा ?
शिक्षक--यह बात ध्यानमे लेलीजिये कि चार घातीयकर्मोका बन्ध शुभ या अशुभ दोनों उपयोगोंमे होता है। अघातीय कर्मोमेसे जब शुभ उपयोग होता है, सातावेदनीय, शुभ नाम. उच्चगोत्र तथा शुभ आयुका बन्ध होता है और जब अशुभ उपयोग होता है तब असाता वेदनीय, अशुभ नाम, नीच गोत्र, अशुभ आयुका बन्ध होता है। क्योंकि शुभ या अशुभ दोनों ही उपयोग अशुद्ध है, कषाय सहित है, आत्माके स्वाभाविक ज्ञानदर्शन आत्मबल व शातभावके बाधक है इसलिये चारों घातीयकर्मोका बन्ध' अवश्य होगा। शुभ भावोंमें भी कषाय है जो आत्मगुणोंका घांत करता है। यह हम बता चुके है कि बन्ध चार प्रकारका होता है, उनमेंसे स्थिति व अनु