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जीव तत्व।
[ १२३ सम्यक्दृष्टि जीव मुल आत्माके स्वभावको शुद्ध जानता है और कर्मोके संयोगसे होनेवाली अवस्थाओको वैसा ही जानता है। परमात्मा बिलकुल शुद्ध कर्म रहित आत्माको कहते है। हमको योग्य है कि हम वहिरात्मापना छोड़कर अंतरात्मा होजावें तथा परमात्मा होनेका पुरुषार्थ करें।
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