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विद्यार्थी जैनधर्म शिक्षा। (६) एक अवस्थासे दूसरी अवस्था हानेपर फिर उमी अपस्थामे आनेतक जो वीचकी जुदाईका काल है उसे बताना सो अन्तर (Intorval) है।
(७) उस वस्तुका स्वभाव बताना मो भाव (nature) है ।
(८) उस वस्तुकी प्राप्ति स्म कहा व कहानी है. अधिक कहा वक्व होती है यह बताना अल्पवहुत्व comparative quantilsil
जैसे जीव द्रव्यका व्याग्न्यान करना हो तो हम टन तरह आट बातोंसे बता सक्ते है
(१) जीव है क्योंकि चेतनालक्षण प्रगट है. हम देखने जानने हे जडमे यह बात नहीं मिलनी है। यह सन् है।
(२) जीवोंके भेद मुख्य मंसारी और मिद्ध है. व इन्द्रियानी अपेक्षा पाच मंद है। सख्या अनंत है, यह संख्या है।
(३) जीवका वर्तमान निवास अपने२ नेहमें है व अग्नीर गतिमे है व जहा वह पाया जाये वहा है यह क्षेत्र है।
(४) जो जीव जहातक जासत्ता है वह उसका सहन है। जन. हम पैदा तो बम्बईमे हुए है परन्तु जहातक जहाज, रेल या हवाई विमान द्वारा जानेका मार्ग है वहातक जासक्ते है. यह स्वर्शन हे । (५) जिस जीवकी जो उम्र जिस गरीरमे है वही उसका काल है।
(६) एक जीव मानव था, मरकर घोडा हुआ फिर मानव हुआ। वीचमे जो ४० वर्ष चीते वह विरहकाल या अंतर है।
(७) जीवका भाव ज्ञान दर्शन, शुद्ध अशुद्ध, अनेक प्रकारका है, यह भाव है।