________________
तत्वज्ञानका साधन।
जैसे जब बढ़ई बढ़ईका काम करता हो तब ही बढ़ई कहना, डाक्टर जब डाक्टरी करता हो तब ही उसे डाक्टर कहना । ___ इन पिछले तीन नयोंको शब्दनय भी कहते हैं, क्योंकि इन तीनोंमें गन्दकी मुग्न्यता है। मैं समझता हूं कि आप प्रमाण और नयका मतलब समझ गए होंगे।
शिष्य-मैंने आपके कथनको लिख लिया है। अभी तो मैं समझ गया हूं, मैं इसपर और विचार करूंगा।
क्या और भी कोई तरीका समझनेका है।
शिक्षक-पदार्थोके सम्बन्धमे चार प्रकारका लोकमें व्यवहार होता है । उनको निक्षेप कहते हैं । इनको भी समझ लीजिये
(१) नाम निक्षेप-लोकमें पदार्थको पहचाननेके लिये ऐसा नाम रखना जिसके गुण पदार्थमें न हों, जैसे किसी बालकका नाम महावीर रख दिया या देवसिंह या पार्श्वनाथ या पन्नालाल रख दिया। यह नाम लिखने पढ़ने बुलानेमे बहुत जरूरी है, नामके विना किसीके सम्बन्धमें वर्णन करना कठिन है। इसीसे जगतमे हरएकका नाम रखा जाता है।
(२) स्थापना निक्षेप-काष्ट, मिट्टी, पाषाण आदिमें किसीकी स्थापना करके यह भाव करना कि यह वही है सो स्थापना निक्षेप है। इसके दो भेद है--तदाकार स्थापना, अतदाकार स्थापना। जैसी जिसकी सूरत हो वैसी ही उसकी मूर्ति या चित्र बनाकर मानना कि यह वही है यह तदाकार स्थापना है। जैसे लाला लाजपतरायका पुतला या लोकमान्य तिलकका पुतला बनाकर मानना यह वे ही हैं या श्री महावीर भगवानकी मूर्ति बनाकर मानना कि यह श्री महावीर