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मेरा कर्तव्य।
[४१ . ., शिक्षक-पांच महावत-या महान प्रतिज्ञाएं है जिनको साधु 'पालते हैं -
1. १-अहिंसा महाव्रत-सर्व प्राणीमात्रकी रक्षा करना, किसीको कष्ट न देना, सर्वपर प्रेमभाव या साम्यभाव रखना।
, २, सत्य महात्रत-आत्महितकारक सत्य प्रिय वचन मर्यादा'पूर्वक कहना।।
- ३-अचोय महावत-विना दी हुई कोई वस्तु लेना नहीं। स्वयं फलादि व जल भी नहीं लेना। गृहस्थ जो भक्तिमे दे उसे ही स्वीकार करना।
४ चमचर्य महानत-मन वचन कायसे शीर व्रत पालना। परिणामोंको काम विका से शुद्ध रखना। • ५ पमिह महारत-क्षेत्र, मकान, धन, धान्यादि सामानको त्यागकर ममनारहित निग्रंथ होताना। इन्हीं पांच महाव्रतोंकी रक्षाके हेतु पांच ममिति पालना चालिये।
पांच समिति पांच बातोका ठीकर वर्ताव ।
१ ईर्या समिति-दिनमें रौंदी हुई भूमिपर चार हाथ जमीन भागे देखते हुए पग रखना।
२. भापा समिति कोमल, मिष्ठ, अल्प, वचन वोलना।
३- एपणा समिति जिस भोजनपानको गृहस्थने अपने कुटुम्बके लिये तैयार किया हो उसी का कुछ भाग भिक्षावृत्तिसे भक्तिपूर्वक दिये जानेपर लेना।
४- आदाननिक्षेपण समिति- अपने शरीरको व शास्त्रको वापीछी कमंडलादिको देखकर रखना व उठाना।