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श्राद्धविधि प्रकरण __"सर्व सचित्तके त्यागपर अंबड परिव्राजकके सातसौ शिष्योंका दृष्टान्त" * अंबड नामा परिव्राजकके सातसो शिष्य थे। उसने श्रावकके बारहवत लेते हुये ऐसा नियम किया था कि, अचित्त और किसीने दिया हुवा हो ऐसा अन्नपाणी उपयोगमें लूगा। परन्तु सचित्त और किसीने न दिया हो तो ऐसा अन्न जल न लूंगा। वे एक समय गंगा नदीके किनारे होकर उष्णकालके दिनोंमें चलते हुये किसी गांवमें जा रहे थे, उस समय सबके पास पानी न रहा इससे वे तृषासे बहुतही पीडित हुवे । परन्तु नदी के किनारे तापसे तपा हुवा अचित्त पानी भरा हुवा था, तथापि किसीके दिये बिना अपने नियमके अनुसार उन्होंने वह अंगीकार न किया। इससे उन तमाम सातसौ परिव्राजकोंने वहां ही अनशन किया। इस प्रकार अदत्त या सवित्त किसीने अंगीकार न किया। अन्तमें वहां पर ही मृत्यु पाकर पांचवें ब्रह्म देवलोकमें सामानिक देवतया उत्पन्न हुये । इस तरह जो प्राणी सर्व सचित्तका त्याग करता है वह महात्मा महासुखको प्राप्त करता है।
___ "चौदह नियम धारण करनेका व्यौरा" जिसने पहले चौदह नियम अंगीकार किये हों उसे प्रतिदिन संक्षिप्त करने चाहिये, और जिसने न अंगीकार किये हों उसे भी अंगीकार करके प्रतिदिन संक्षिप्त करने चाहिये । उसकी रीति नीचे मजुब है।
१ सचित्त २ दव्व, ३ विगई, १२ उवाण, ५ तंबोल, ६ वथ्थ, ७ कुसुमेसु ॥
८ वाहण ६ सयण १० विलेवण ११ वंभ १२ दिसि १३ ण्हाण १४ भत्तेसु ॥ १ सचित्त-मुख्यवृत्तिसे सुश्रावकको सर्वदा सचित्तका त्याग करना चाहिये। यदि ऐसा न बन सके तो साधारणत: एक, दो या तीन आदि सवित्त वस्तु खुली रखकर बाकीके सर्व सचित्तका प्रतिदिन त्याग करना :चाहिये। शास्त्रमें लिखा है कि "प्रमाणवंत निर्जीव निरवद्य ( पाप रहित ) आहार करनेसे श्रावक अपने आत्माका उद्धार करनेमें तत्पर रहने वाला सुश्रावक होता है"।
२ द्रव्य–सचित्त और विगय इन दो वस्तुओंको छोड़कर अन्य जो कुछ मुखमें डाला जाय वह सब द्रव्यमें गिना जाता है। जैसे कि खिचड़ी, रोटी, निवयाता लड्डू, लापसी, पापडी, चूर्मा, करुवा, पूरी, क्षीर, दूधपाक । इस प्रकार बहुतसे पदार्थ मिलनेसे भी जिसका एक नाम गिना जाता हो वह एक द्रव्य गिना जाता है। यदि धान्यके जुदे २ पदार्थ बने हुये हों, तथापि वह जुदा २ द्रव्य गिना जायगा। जैसे कि, रोटी, पूरी, मठडी, फुलका, थूलि, राब, वगैरह एक जातिके धान्यके होनेपर भी जुदा २ स्वाद और नाम होनेसे जुदा २ द्रव्य गिना जाता है। इसी प्रकार स्वादको भिन्नतासे या परिणामांतर होनेसे जुदे २ द्रव्य गिने जाते हैं ? ऐसे द्रव्य गिननेकी रीति विपक्षो संप्रदायके प्रसंगसे भिन्न होती है, सो गुरु परंपरासे जानलेना । इन द्रव्योंमेंसे एक दो, चार; या जितने उपयोगमें लेने हों उतने खुले रखकर अन्य सबका त्याग करना चाहिये। ____३ विगई ( विगय)-विगय खाने योग्य छ प्रकारकी हैं १ दूध, २ दही, ३ घी, ४ तेल, ५ गुड़, ६ सव प्रकारके पक्वान । इन छह प्रकारकी विगयोंसे जो जो विगय ग्रहण करनी हो वह खुली रखकर अन्य सबका प्रतिदिन त्याग करना चाहिये।