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श्राद्धविधि प्रकरण किसी भी मनुष्यको परदेश गमन करना उचित नहीं। ऐसे ही अन्य भी कितने एक कारणों का शास्त्रके अनुसार यथोचित विचार करना चाहिए।
"कितने एक नैतिक विचार" दूध पी कर, मैथुन सेवन करके, स्नान करके, स्त्रोको मार पीट कर, वमन करके, थूक कर, और किसीका भी रुदन वगैरह कठोर शब्द सुन कर प्रयाण न करना।
मुंडन करा कर, आंखोंसे आंसू टपका कर, और अपशकुन होनेसे दूसरे गांव न जाना चाहिये।
किसी भी कार्यके लिए जानेका विचार करके उठते समय जो नासिका चलती हो प्रथम वही पैर रख कर जाय तो मनवांछित सिद्धिकी प्राप्ति होती है।
रोगी, बृद्ध, विप्र, अन्ध, गाय, पूज्य, राजा गर्भवती, भार उठाने वाला, इतनोंको मार्ग दे कर, एक तरफ चलना चाहिये।
रंधा हुवा या कच्चा धान्य, पूजाके योग्य वस्तु, मंत्रका मण्डल, इतने पदार्थ जहां तहां न डाल देना । स्नान किए हुए पानीको, रुधिरको और मुर्देको उल्लंघन न करना।
___ थूकको, श्लेष्मको, विष्ठाको, पिशाबको, सुलगते अग्निको, सर्पको, मनुष्यको और शास्त्रको, बुद्धिमान् पुरुषको याहिए कि कदापि उल्लंघन न करे ।
नदीको इस किनारसे, गाय बांधनेके बाड़ेसे, दूध वाले वृक्षसे, (बड़ वगैरह से ), जलाशय से, बाग बगीचेसे, और कुवा वगैरह से सगे सम्बन्धीको आगे पहुंचा कर पीछे लौटना ।
अपना श्रेय इच्छने वाले मनुष्यको रात्रिके समय वृक्षके मूल आगे या वृक्षके नीचे निवास न करना। उत्सव या सृतक पूर्ण हुए बिना कहीं भी न जाना।
किसीके साथ बिना, अनजान मनुष्यके साथ, उलंठ, दुष्ट या नीचके साथ, मध्यान समय और आधी रात पंडित पुरुषको राह न चलना चाहिये।
क्रोधी, लोभी, अभिमानी या हठीलेके साथ, चुगली करने वालेके साथ, राजाके सिपाही, जमादार या थानेदार, जैसे किसी सरकारी आदमीके साथ, धोबी, दरजी वगैरह के साथ, दुष्ट, खल, लंपट, गुंडे मनुष्यके साथ, विश्वासघाती या जिसके मित्र छलछंदी हों ऐसेके साथ विना अवसर बात या गमन कदापि न करना। महीष, भैला, गधा, गाय, इन चारों पर चाहे जितना थक गया हो तथापि अपना भला इच्छने वालेको कदापि सवारी न करना चाहिये।
__ हाथीसे हजार हाथ, गाड़ीसे पांच हाथ, सींग वाले पशुओंसे और घोड़ेसे दस हाथ दूर रहकर चलना चाहिये । नजीकमें चलनेसे कदाचित विघ्न होनेका सम्भव है।
शंबल बिना मार्ग न चलना चाहिये, जहां पास किया हो वहां पर अति निद्रा न लेना, सोये बाद भी बुद्धिमान पुरुषको किसीका विश्वास न करना चाहिये।