Book Title: Shraddh Vidhi Prakaran
Author(s): Tilakvijay
Publisher: Aatmtilak Granth Society

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Page 391
________________ ३८० श्राद्धविधि प्रकरण चातुर्मासी, वार्षिक, पाक्षिक, पंचमी और अष्टमी, तिथिये वही प्रमाण होती है कि जिनमें सूर्यका उदय होता हो। दूसरी तिथि मान्य नहीं होती है। पुन पच्चखा। पडिक्कमणं तहय निमम गहण च ॥ जीए उदेइ सुरो। तीइतिहीएउ कायव्बं ॥२॥ पूजा, प्रत्याख्यान, प्रतिक्रमण, एवं नियम ग्रहण उसो तिथिमें करना कि जिसमें सूर्यका उदय हुआ हो। ( उदयके समय वही तिथि सारे दिन मान्य हो सकती है) उदयंमिजा तिही सा। पपाणमि भरीइ कीरमाणीए॥ प्राणाभंगण वथ्था। मिच्छत विराहणं पावे ॥३॥ सूर्यके उदयं समय जो तिथि हो वही प्रमाण करना। यदि ऐसा न करे तो आणाभंग होती है, अन. - वस्था दोष लगता है, मिथ्यात्व दोष लगता है और विराधक होता है। पाराशरी स्मृतिमें भी कहा है कि: -- आदित्योदय वेलायां । या स्तोकापि तिथिर्भवेत् । सा संपूर्णति मंतध्या।प्रभूता नोदयं विता॥१॥ सूर्य उदयके समय जो थोड़ी भी तिथि हो उसे संपूण मानना। यदि दूसरी तिथि अधिक समय भोगती हो परन्तु सूर्योदयके समय उसका अस्तित्व न हो तो उसे मानना । उमास्वाती बाचकके वचनका भी ऐसा प्रघोष सुना जाता है कि:तये पूर्वा तिथिः कार्या। वृद्धौ कार्या तथोत्तरा॥ श्रीवीरज्ञाननिर्वाणं । काय लोकानुगैरिह ॥१॥ तिथिका क्षय हो तो पहिलोका करना। (पंचमीका क्षय हो तो चौथको पंचमी मानना ) यदि वृद्धि हो तो पिछली स्थिति मानना। (दो पंचमी वगैरह आवे तो दूसरी मानना ) श्री महावीर स्वामीका केवल और निर्वाण कल्याणक लोकको अनुसरण करके सकल संघको करना चाहिये। अरिहंतके पंचकल्याणक के दिन भी पर्व तिथियों के समान मानना । जिस दिन जब दो तीन कल्याणक एक ही दिन आवे तो वह तिथि विशेष मानने योग्य समझना। सुना जाता है कि श्रीकृष्ण- महाराज ने पर्वके सब दिन आराधन न कर सकनेके कारण नेमनाथ भगवान से ऐसा प्रश्न किया कि वर्षमें सबसे उत्कृष्ट आराधन करने योग्य कौनसा पर्व है ? तब नेमनाथ स्वामीने कहा कि हे महाभाग! मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी श्री जिनेश्वरोंके पांच कल्याणकों से पवित्र है। इस तिथिमें पांच भरत और पांच ऐवत क्षेत्रके कल्याणक मिलनेसे पचास कल्याणक होते हैं और यदि तीनकाल से गिना जाय तो डेडसौ कल्याणक होते हैं। इससे कृष्ण महाराज ने मौन पौषधोपवास वगैरह करणोसे इस दिनकी आराधना को। उस दिनसे 'यथा राजा तथा प्रजा' इस न्यायसे सबने एकादशी का आराधन शुरू किया। इसी कारण यह पर्व विशेष प्रसिद्धिमें

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