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श्राद्धविधि प्रकरण
३७५ संवत्सर चउम्मिसिएसु । अठ्ठाहि पासुम तिहिसु॥.....
सव्वायरेण लग्गाइ। जिणवर पूमा तव गुणेसु ॥१॥ १ संवत्सरीय (वार्षिक पर्वकी अष्टान्हिका ) तीन चातुर्मास की अष्टान्हिका, एक चैत्र मासकी एवं एक आश्विन मासकी अठाई, और अन्य भी कितनी एक तिथियों में सर्वादरसे जिनेश्वर भगवान की पूजा तप, व्रत, प्रत्याख्यान का उद्यम करना।
___ एक वर्षकी छह अठाइयोंमें से चैत्री, और आश्विन मासकी ये दो अठाइयां शाश्वती हैं। इन दोनोंमें वैमानिक देवता भी नन्दीश्वरादि तीर्थ यात्रा महोत्सव करते हैं। कहा है कि:दो सासय जत्तामो। तथ्येगा होइ चित्तमासंमि॥
___ अठ्ठाहि माई महिमा । बीमा पुण अस्सिणे मासे ॥१॥ एआयो दोबि सासय । जत्तानो करन्ति सव्व देवावि॥
नंदिसरम्मि खयरा ।। नराय निअएसु ठाणेसु ॥२॥ दो शाश्वती यात्रायें हैं। उसमें एक तो चैत्र मासकी अठाई की और दूसरी आश्विन महीने की अठाई की। एवं इनमें देवतो लोग अठाई महोत्सवादिक करते हैं। ये शाश्वति यात्रायें सब देवता करते हैं। विद्याधर भी नन्दीश्वर दीपकी यात्रा करते हैं, और मनुष्य अपने नियत स्थानमें यात्रा करते हैं । तह चउमासि अतिगं। पज्जो सवणाय तहय इम छक्क ॥
जिण जम्म दिख्खव केवल । निव्वाणाईसु प्रसासइमा ॥३॥ बिना तीन चातुर्मास की और एक पर्युषणा की ये सब मिलकर छह अठाइयां तथा तीर्थंकरों के जन्मकल्याणक दीक्षा, कल्याणक, और निर्वाण कल्याणक की अष्टान्हिकाओं में नन्दीश्वर की यात्रा करते है, परन्तु ये अशाश्वती समझना। जीवाभिगम में कहा है किः
तथ्य बहवे भवेणवइ बाणमंतर जोइस वेपाणिपा देवा तिहि चउमासि एहिं पज्जोसवणाएन अट्ठाहिमायो महामहिमायो करित्तिति।
... वहां बहुतसे भवनपति, वाणव्यंतरिक, ज्योतिषि, वैमानिक, देवता, तीन चातुर्मास की और एक पर्युषण की-अठाइयों में महिमा करते हैं।
"तिथि-विचार" प्रभातमें प्रत्याख्यान के समय जो तिथि हो सो ही प्रमाण होती है। क्योंकि लोकमें भी सूर्यके उदयके अनुसार ही दिनादिका व्यवहार होता है। कहा है कि... चाउम्मासिम बरिसे। परिखम पंचमीसु नायब्वा ॥ . .
ता भो तिहिनो जासिं उदेइ सूरोन अन्ना प्रो॥