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श्राद्धविधि प्रकरण "मंथर कोलीका दृष्टान्त"
किसी एक गांवमें मंथर नामक कोली रहता था। उसे वस्त्र बुननेका साधन बनानेकी जरूरत होनेसे वह जंगलमें एक सीसमके वृक्षको काटने गया। उस वक्त उस वृक्ष पर रहने वाले अधिष्ठायक देवने उस वृक्षको काटनेकी मनाई की। तथापि उसने साहस करके उसे काट ही डाला। उसकी साहसिकता देख कर प्रसन्न हो कर व्यन्तर देव बोला "मांग मांग! जो तू मांगे मैं सो ही तुझे दूंगा” मंथर बोला-“यदि सचमुच ऐसा ही है तो मैं अपनी औरत की सम्मति ले आऊं फिर मांगूगा। यों कह कर वह गांवमें आ कर जब घर आता है तब मार्गमें उसका एक नाई मित्र था सो मिल गया। उसने पूछा क्यों ? आज जल्दी २क्यों जा रहा है ? उसने उसे सत्य हकीकत कह सुनाई, इससे उसने कहा कि, यदि ऐसा है तो इसमें स्त्रीको पूछनेकी जरूरत ही क्या है। जा देवताके पास एक छोटा सा राज्य मांग ले। परन्तु वह स्त्रीके वश होनेसे उसकी बात न सुनकर घरवाली की सलाह लेने घर गया। उसकी बात सुन कर स्त्रीने विचार किया कि:
प्रबधमानपुरुषस्त्रयाणामुपघातकृत ॥
पूर्वीपार्जितमित्राणां दाराणामथवेश्यानाम् ॥ जब पुरुष लक्ष्मीसे वृद्धि पाता है तब पुराने मित्र, पुरानी स्त्री, पुराना घर, इन तीन वस्तुओंका उपघात करता है याने पुरानेको छोड़ कर नये करता है। ___उपरोक्त नीति वाक्य हैं। यदि मैं इसे राज्य या अधिक धन मांगनेकी सलाह दूंगी तो सचमुच मुझे छोड़ कर यह दूसरी शादी किये बिना न रहेगा! इससे मैं स्वयं ही दुखिया हो जाऊंगी। इस विचारसे वह उसे कहने लगी कि तू उस व्यन्तरके पास ऐसा मांग कि दो हाथोंके बदले चार हाथ कर दे और एक मस्तकके बदले दो मस्तक कर दे जिससे हमारा काम दूना होने लग जाय। इससे हम अनायास ही सुखी हो जायंगे। औरत के वश होनेसे उसने भी व्यन्तर के पास वैसी हो याचना की। यक्षने भी सचमुच वैसा ही कर दिया, इससे वह विलकुल कद्रूप मालूम देता हुवा जब गांवमें आने लगा तब लोग उसे देख कर भयभीत हो गये और ईट पथ्थरोंसे मारने लगे, अन्तमें गांवके लोगोंने उसे राक्षस समझ कर मार ही डाला इसलिषे स्त्रीको पूछ कर काम करे तो उसका ऐसा हाल होता है, इस पर पंडितोंने एक कहावत कही है--
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा मित्रोक्तं न करोति यः ।
स्त्रीवश्यः स ययाति यथा मंतरकोलिकः ॥ जिसे स्वयं बुद्धि नहीं और जो अपने मित्रके कथनानुसार नहीं चलता और जो सदैव स्त्रीके कहे मुजब चलता है, सचमुच ही मंथरकोली के समान वह नाशको प्राप्त होता है। ___जो यह कहा है कि स्त्रीके पास अपनी गुप्त बात न कहना यह अपवादरूप है याने उस प्रकारकी अशिक्षित और असंस्कारी औरतोंके लिये है, परन्तु दीर्घद्वष्टि रखने वाली और अपने पतिके हिताहित विचारको करने