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श्राद्धविधि प्रकरण थोबावराह दोसेहिं । दंडभूमि न नेयम्बो॥ बलवान् पुरुषको चाहिये यदि उससे दुर्बलको सहायता न हो सके तो दुःख तो कदापि न दे। दान या कर वगैरह से लोगोंको दुखी न करे। कम अपराध से दंड हो वैसे किसीको राजदरबार में न घसीटे । ___यदि राजा कर बढ़ाता हो तो भी अधिक लोगोंके अनुसार बर्ताव करना; परन्तु अन्य सब व्यापारियों से जुदा हो कर अपने बलसे अकेला ही विरोध करना योग्य नहीं। जंगलके तमाम जाति वाले पशुओं से विरोध रखने वाला और अति बलिष्ट भी सिंह जव कष्टमें आ पड़ता है तब उसका कोई भी सहायकारी नहीं बनता । अन्तमें मेघकी गर्जना सुन कर मदोन्मत्त हुवा सिंह मस्तक पटक कर एकला ही मर जाता है, परन्तु उसे कोई सहायकारी नहीं होता। इसलिये अपने सहायकारी दूसरे व्यापारी लोगोंके समुदाय में ही रह कर जो काम हो सो करना ठोक है। परन्तु एकला जुदा पड़ना योग्य नहीं; इसलिये नीतिमें लिखा है किः
संहतिः श्रेयसि पुंसां । स्वपते तु विशेषतः ॥
तुरैरपि परिभृष्टाः। न प्ररोहंति तंडुलाः॥ संप रख कर कार्य करना बड़ा लाभकारी है, तथा अपने पक्षमें विशेष संप रखना अधिक लाभकारी है, क्योंकि यदि चावलोंके ऊपरका छिलका उतार डाला हो तो वे चावल अंकुर नहीं दे सकते।
गिरयो येन भिद्यन्ते। धरा येन विदार्यते ॥
संहतेः पश्य पाहात्म्य । तृणैस्तद वारि वार्यते ॥ - जिससे पर्वत भी भेदन किये जाते हैं, जिससे पृथ्वी भी विदीर्ण की जाती है इस प्रकारके घासके समुदाय का माहात्म्य तो देखो कि जिससे आताप वा पानी भी रोका जाता है।
कारणिएहिं पिसमं । कायव्यो तान अथ्य संबंधो।
किपुण पहुणा सद्धि । अप्पहिनं अहिल संतेहि ॥ अपना श्रेय इच्छने वाले मनुष्यको कारणिक पुरुषोंके साथ-राजकार्यकारी पुरुषोंके साथ द्रव्य लेन देनका सम्बन्ध योग्य वहीं तब फिर समर्थ राजाके साथ लेन देनका व्यवहार रखना किस तरह योग्य कहा जाय?
जो बहुतसा खर्च रखते हों, धर्म कार्यमें या जाति वगैरह के कार्यमें या लजाके कार्यमें खर्चनेकी बड़ी उदारता रखते हों और विना ही विचार किये खर्च किया करते हों ऐसे राजवर्गीय लोगों या राजमान्य लोगों को कारणिक कहते हैं। वैसे लोगोंके साथ द्रव्य लेन देनका सम्बन्ध कदापि न रखना चाहिये। क्योंकि क्योंकि उन लोगोंको जब धन लेना हो तब वे प्रीति करते हैं, मिष्ट बचन बोलते हैं, बचन सन्मान भादि आडम्बर दिखला कर, सज्जनपन का विश्वास दिलाकर मन हरन करते हैं। परन्तु जब उन्हें दिया हुवा धन वापिस मांगा जाय तब वे निष्कारण शत्रु बन जाते हैं और जिससे कर्ज लिया था उस परकी दाक्षिण्यता बिलकुल धो डालते हैं, इतना ही नहीं बल्कि कुत्ते के समात घुड़कियां चेकर डराने लग जाते है, इस लिये शास्त्रमें लिखा है कि:-...