________________
श्राद्ध विधि प्रकरण का उत्तरासन किये बिना मन्दिर में जाना, ३३ प्रभुकी प्रतिमा देखने पर भी हाथ न जोड़ना, ३४ शक्ति होनेपर भी प्रभुकी पूजा न करना, ३५ प्रभुपर चढ़ाने योग्य न हों ऐसे पदार्थ चढ़ाना, ३६ पूजा करनेमें अनादर रखना, भकि बहुमान न रखना, ३७ भगवान को निन्दा करने वाले पुरुषोंको न रोकना, ३८ देव द्रव्य का विनाश होता देव उपेक्षा करना; ३६ शक्ति होनेपर भी मन्दिर जाते समय सवारी करना, ४० मन्दिरमें बड़ोंसे पहले चैत्यबन्दन या पूजा करना, जिन भुवनमें रहते हुए उपरोक्त कारणोंमें से किसी भी कारणको सैवन करे तो वह मध्यम आशातना होती है उसे वर्जना।
१ नासिकाका मैल मन्दिर में डालना, २ जुवा, तास, सतरंज, चौपड़ वगैरह खेल मन्दिरमें करना, ३ मन्दिरमें लड़ाई करना; ४ मंदिरमें किसी कलाका अभ्यास करना ५ कुल्ला करना; ६ तांबूल खाना, ७ तांबूल खाकर मन्दिरमें कूवा डालना, ८ मन्दिर में किसीको गाली देना, ६ लघु नीति बड़ी नीति करना, १० मन्दिरमें हाथ पैर मुख शरीर धोना, ११ केस संवारना, १२ नख उतारना, १३ रक्त डालना, १४ सूखड़ी वगैरह खाना, १५ गूमड़ा, चाट वगैरह की चमडी उखाड कर मन्दिर में डालना; १६ मुखमेंसे निकला हुवा पित्त वगैरह मन्दि. रमें डालना, १७ वहांपर वमन करना, १८ दांत टूट गया हो सो मन्दिरमें डालना, १६ मन्दिरमें विश्राम करना, २० गाय, बैल, भैंस, ऊंट, घोड़ा, बकरा. वगैरह पशु मन्दिर में बांधना, २१ दांतका मैल डालना, २२ आंखका मैल डालना, २३ नख डालना, २४ गाल बाजना, २५ नासिकाका मैल डालना, २६ मस्तकका मैल डालना,२७ कानका मैल डालना, २८ शरीरका मैल डालना, २६ मन्दिरमें भूतादिक निग्रहके मंत्रकी साधना करना, अथवा राज्यप्रमुख के कार्यका विचार करनेके लिये पंच इकट्ठे होकर बैठना, ३० विवाह आदिके सांसारिक कार्योंके लिये मन्दिर में पंचोंका मिलना, ३१ मन्दिरमें बैठ कर अपने घरका या व्यापार का नावाँ लिखना, ३२ राजाके बिभागका कर या अपना सगे सम्बन्धियों को देने योग्य विभागका बांटना मन्दिरमें करना, ३३ मन्दिरमें अपने घरका द्रव्य रखना, या मन्दिरके भंडारमें अपना द्रव्य साथ रखना, ३४ मन्दिरमें पैर पर पैर चढ़ाकर बैठना ३५ मन्दिरकी भींत पर या चौंतरे वा जमीन पर उपले पाथ कर सुखाना, ३६ मन्दिर में अपने बस्त्र सुखाना, ३७ मूंग, चणे, मोठ, अरहरकी दाल, वगैरह मन्दिरमें सुखाना, ३८ पापड़, ३६ वड़ी, शाक, अचार बगैरह करनेके लिये किसी भी पदार्थको मन्दिर में सुखाना, ४० राजा वगैरहके भयसे मन्दिरके गुभारे, भोरे, भण्डार वगैरह में छिपना, ४१ मन्दिर में बैठे हुए अपने किसी भी सम्बन्धिकी मृत्यु सुन कर रुदन करना, ४२ स्त्रीकथा राजकथा, देशकथा, भोजनकथा, मन्दिरमें ये चार प्रकारको विकथा करना, ४३ अपने गृहकार्यके लिये मंदिग्में किनी प्रकार के यंत्र वगैरह शस्त्रादि तैयार कराना, ४४ गो, भैंस वैल, घोड़ा, ऊंट वगैरह मंदिरमें बांधना, ४५ ठंडी आदिके कारणसे मन्दिरमें बैठकर अग्नि तापना, ४६ मन्दिरमें अपने सांसारिक कार्यके लिये रन्धन करना, ४७ मन्दिर में बैठकर रुपया, महोर, चांदी, सोना, रत्न वगैरह की परीक्षा करना, ४८ मन्दिर में प्रवेश करते और निकलने हुए नि:सिद्दी और आवस्सिही न कहना, ४६ छत्र, ५० जूता, ५१ शस्त्र, चामर वगैरह मन्दिरमें लाना, ५२ मानसिक एकाग्रता न रखना, ५३ मन्दिरमें तेल प्रमुखका मर्दन कराना, ५४ सचित फूल वगैरह मन्दिरसे प्रहर न निकाल डालना, -१५ प्रतिदिन पहरनेके आभूषण मन्दिर जाते हुये न पहनना, विमासे आशा