________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 31 वर्णन और चौथीमें समकितदृष्टि शासन देवदेवियों की प्रशंसा आती है / ऐसे क्रमपूर्वक वर्णनवाली चारों स्तुतियां बोलनी चाहिये / कई ऐसी भी स्तुतियां होती हैं जिनमें उक्त क्रम नहीं पाया जाता, वे नहीं बोलनी चाहिये / ऊपरकी सूचना मुजब स्तुति स्तवनादि भावपूजामें पढने चाहिये और वह भी बहुत शांतिपूर्वक एकाग्रचित्तसे / क्योंकि लाभ स्थिरतामें है उतावलमें नहीं / स्थिरतासे की गई यह भावपूजा द्रव्यपूजासे अधिक श्रेष्ठ है / भावमें वृद्धि करानेवाली होनेसे उत्कृष्ट फल इसीसे प्राप्त होता है। भावपूजा के समय इतना एकाग्र हो जाना चाहिये कि आसपास क्या हो रहा है उस तर्फ जरा भी खयाल न जावे / एक यूरोपीयन् Astrologer ( खगोलशास्त्री) Sir Issac Newton सर आइजाक् न्युटन जो कि ई. सन् 1642 में जन्मा था, जिसकी कुल उम्मर 84 वर्षकी थी उसका मन इतना एकाग्र था कि जब कभी Philosophical (तत्त्वज्ञान ) और Arithmetical (गणित) विद्या संबन्धी विचारोमें मग्न होता था उस वक्त खाना पीना भी भूल जाता, यहां तक कि रात है या दिन है इसकी भी उसको खबर न रहती थी। - इसके सिवाय और भी एक आर्किमिडीज नामका मशहूर गणितशास्त्री अपना अभ्यास इतनी एकाग्रतासे करता था