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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् सोंमें प्रधान दो सोसे (जिनके नाम वासुकी और शंखराज हैं ) वेष्टित ऐसा पृथिवीमंडल है सो क्षितिके बीजाक्षरों सहित है तथा वज्रपंजरके (वज्रसहित रेखाके) चतुष्टयसे बँधा हुआ और सवनगिरि (मेरुपर्वत) सहित चौकोन, (इसप्रकार पांच विशेषण पृथ्वीमंडलके हैं) ऐसा पृथ्वी मंडल है आधार जिसका (यह इन्द्रका विशेषण है) और ऐरावत हस्तीके स्कन्धपर चढ़ा हुआ, हाथमें वन है, शची आदि सुन्दर देवांगनाओंके श्रृंगार देखनेमें प्रफुल्लित हैं हजार नेत्र जिसके ऐसी देवेन्द्रकी मुद्रासे शोभायमान है, ऐसे समस्तभुवनका आलंबन करनेवाले सुनाशीर (इन्द्र) के द्वारा रचनारूप किये हैं दोनो जानु जिसने ऐसा गरुड है। यहांतक पृथिवीतत्त्वसहित गरुडका विशेषण है ॥११॥
आगे जलतत्त्वका खरूप कहते हैं
तदुपरि पुनरानाभिविपुलतरसुधासमुद्रसन्निभसमुल्लसन्निजशरीरप्रभापटलव्याप्तसकलगगनान्तरालवैश्याशीविषधरावनडवारुणवीजा क्षरमण्डनपुण्डरीकलक्ष्मोपलक्षितपारावारमयखण्डेन्दुमण्डलाकारवरुणपुरप्रतिष्ठितविपुलतरप्रचण्डमुद्राग्रहेति विकीर्णशिशिरतरपयाकणकान्तिकर्वरितसकलककुपचक्रकरिमकरमारूढप्रशस्तपाशपाणिवरुणामृतमुद्राबन्धविधुरितनिःशेषविषानलसंतानभगवदरुणनिढोत्संगप्रदेश इति अप्तत्त्वम् ॥१२॥
अर्थ-तथा उस जानुद्वयके उपरि नाभिपर्यन्त अप्तत्त्व है, वहां अतिविस्तीर्ण जो सुधासमुद्र (क्षीरसमुद्र)समान शुक्लवर्ण उल्लासको प्राप्त होते अपने शरीरकी प्रभाके पटलसे (तेजसमूहसे ) व्याप्त किया है समस्त आकाशका मध्यभाग जिन्होंने ऐसे वैश्यजातिके कर्कोट और पद्म हैं नाम जिनके ऐसे दो आशीविष सोसे वेष्टित अपमंडल है और वारुण बीजोंसे (जलके बीजाक्षरोंसे ) शोभित और पुंडरीक अर्थात् पंचपत्रोपलक्षित श्वेत कमलके चिह्नसे चिह्नित और पारावारमय कहिये क्षीरसमुद्रमय, खंडेन्दु कहिये अर्द्धचंद्राकारके मंडलके समान, वरुणपुरमें तिष्ठता अतिविस्तीर्ण प्रचंड मुद्रावाला और अग्रहेति कहिये मुख्य किरणोंसे बखेरे हुए अतिशीतल जलके कणोंकी आक्रान्तिसे (व्याप्तिसे) कर्बुरित (नानावणेवाला) किया है समस्त दिशाओंका समूह जिसने ऐसा, और करिमकर कहिये-जलहस्तीपर चढ़ा हुआ सुन्दर नागपाश है हाथमें जिसके ऐसा जो वरुण दिक्पाल उसके अमृतकी मुद्राके बन्धसे दूर किया है सम्पूर्ण विषरूप अग्निका समूह जिसने ऐसे समर्थ वरुण दिक्पालके द्वारा रचित है उत्संग (कटिस्थान) स्थान जिसका ऐसा यह गरुडका दूसरा विशेषण है ॥ १२ ॥
आगे गरुडके तीसरे विशेषण अमितत्त्वका रूप कहते हैं,विस्फुरितनिजवपुर्बहुलज्वालावलीपरिकलितसकलदिग्वलयद्विजद्