Book Title: Dhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Author(s): Ratanchand Dagdusa Patni
Publisher: Ratanchand Dagdusa Patni
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(१४) निक्षेप लक्षणके दुहे. ___ और " कृष्न आदि भावस्तुके " चारो निक्षपको मान, जैसे उसके उसके भक्त लोक देवेंगे, वैसें, दूसरे लोक, मान नही देवेंगे. । यह जग जाहिरपणे की ही बात है. ॥ .. . ॥ अब इस " चार निक्षेपके " सामान्य बोधक, दुहे कहेते है ॥
दुहा. वस्तुके जो नाम है, सोई नाम निक्षेप ॥ वस्तु स्वरूप भिन्न देखके, मतकरो चित्त विक्षेप ॥१॥ . अर्थः-जिस जिस वस्तुका जो " नाम दिया गया है, अ. थवा दिया जाता है, सोई “ नाम निक्षेपका” विषय है, परंतु . एक नामकी. अनेक वस्तु देखके, चित्तमें विक्षोभ नहीं करना, । य
द्यपि एक नामकी, अनेक वस्तुओं होती है तो भी संकेतके जाण पुरुषो है सो, नाम मात्रका श्रवण करनेसें भी यथो चित्त योग्य वस्तुका ही, बोधको प्राप्त होते है ॥ १ ॥ इति नाम निक्षेप ॥
॥ किइ आकृति जिस वस्तुकि, वामे ताकाही बोध । । सो स्थापन निक्षेपका करो सिद्धांतसे सोध ॥ २ ॥
॥ अर्थ:-जिस वस्तुका, नाम मात्रका श्रवणसें, हम बोध करलेनेको चाहते है, उस वस्तुकी आकृतिसें, उनका बोध करनेको
क्यों न चाहेंगे ? कारण यह है कि उस आकृतिमें तो, उसी व. . स्तुका ही, विशेष प्रकारसें, बोध होता है । सोई स्थापना निक्षेपका विषय है, इस बातका सोध जैन सिद्धांतसे करके देखो, यथा योग्य मालूम हो जायगा ॥ २ ॥ इति स्थापना निक्षेप ॥
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