Book Title: Dhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Author(s): Ratanchand Dagdusa Patni
Publisher: Ratanchand Dagdusa Patni
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द्रव्य निक्षेप सूत्र. (२१) ___॥ (मूल.) नैगमस्सणं-एगो अणुवउत्तो आगम
ओ, एगं दव्वावस्सयं । दोण्णि अणुवउत्ता, दोण्णि दव्वा वस्सयाई । तिण्णि अणुवउत्ता आगमओ, तिण्णि दव्यावस्सयाई । एवंजावइबा, तावइयाइं दवावस्साई १॥ एवमेव ववहारस्सवि २ ॥ संगहस्सणं-एगो वा, अणेगो वा, अणुवउत्तो वा, अणुवउत्ता वा, अागमओ दव्वाबस्सयं, दव्यावस्सआणि वा ३॥ उज्जुसुयस्स-एगो अणुवउत्तो, आगमतो, एगं दव्वावस्सयं, पुहुत्तं नेछइ ४ ॥ तिएहं सदनयाणं-जाणए अणुवउत्ते अवथ्थु ७॥ .
॥ सेकिंतं २ नो आगमओ, दवावस्सयं २ तिविहं पन्नत्तं, तं, जाणग सरीर १ । भविसरीर २ । जाणग भवित्र वतिरित्तं ३ । वतिरित्तं तिविहं पन्नत्तं १ लोइमं । २ कुप्पावअणिग्रं । ३ लोउत्तरिअं । इत्यादि. ।।.. ___ अर्थः-द्रव्यावश्यक, ? आगम, २ नो आगमसें, दो प्रकारका है। १ आंगमसें द्रव्यआवश्यक यह है कि-जिस साधुने आवश्यक सूत्र सिखा है, स्थिर किया है, जितलीया है, प्रमाण युक्त पढा है, परिपक्वभी किया है, अपणा नाम प्रमाणेही याद किया है, गुरुने दिखाया वैसेही उच्चारणभी कर रहा है, और उनका अर्थभी पुछ गाछ करके यथावत् समज लीया है, और छेवटमें धर्म कथा भी
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