Book Title: Dhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Author(s): Ratanchand Dagdusa Patni
Publisher: Ratanchand Dagdusa Patni
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( ३४) द्रव्यनिक्षेप समीक्षा. ढूंढनी ! तूं नाम आवश्यक तो-भिन्न निक्षेपसे कह कर आई, और अब स्थापना निक्षेपमें भी-नाम निक्षेपको गूसडती है, तो क्या कुछभी विचार नहीं करती है ? क्योंकि तूंही अपणी पोथीमें-नामका, और स्थापनाका, यावत् काल, और इतर कालसें-भेदभी कहती है । तो पीछे नाम, स्थापना, यह दोनो, एकही स्थानमें, कैसे लिखती है ? ॥
इति । द्वितीय निक्षेप' समीक्षा |
॥ अथ तृतीय 'द्रव्य निक्षेप' समीक्षा । ढूंढनी-वस्तुका-वर्तमान गुण रहित, अतीत अनागत गुण सहित, आकार नामभी सहित-सो द्रव्य निक्षेप. ॥ सूत्रपाठार्थमें,-आवश्यकके २ भेद-षष्ट अध्ययन, आवश्यक सूत्र ॥ १। आवश्यकके पढनेवाला आदि २।। . समीक्षा-आगमसे 'द्रव्य निक्षेप' यह है कि-जो साधु-उपयोग विना, आवश्यक सूत्रको पढ़ रहा है--सो, आगमसे-द्रव्य निक्षेप, माना है । और यह एकही भेदको-नैगमादि सातनयसे वि चारा है । सो देखो हमारा लिखा हुवा, द्रव्य निक्षेपके सूत्र पाठमें । और ढूंढनी हे सो सूत्रमें हुये विना, दो भेद करती है, उसमेंभी -पोथीपै लिखा हुवा, षष्ट अध्ययन, आवश्यक सूत्ररूप, स्थापनाको, द्रव्य निक्षेपमें दिखाती है, और वस्तु जो होती है सो तो-गुण विना, वस्तुही न कही जायगी । तो पीछे वर्तमानमें गुण विना कैसे कहती है ? कहा है कि
द्रव्यं पर्याय वियुक्तं, पर्याया द्रव्य वर्जिताः । किं कदा केन रूपेण, दृष्टा मानेन केन वा । १ ।
अर्थः-द्रव्य है सो-अपणे गुणोसें रहित, और गुणों है सो-द्र
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