Book Title: Dhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Author(s): Ratanchand Dagdusa Patni
Publisher: Ratanchand Dagdusa Patni

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Page 433
________________ जिन प्रतिमाके निंदकोंको शिक्षा. आचारांग निशीथादिमे, भगवई पाठदिखाया है ॥ हठ दृढ छोड देखे बिन तुमको, पाठ निजर नहीं आया है। सी० १५ ॥ धध्या धर्म जैन नहीं तेरा, धोक्का पंथ धकाया है । अपने आप बनाजो ढूंढा, लवजी आदि धराया है । बांधी मुखपर पट्टी सतरां, वीसपारो' गाया है । सी० ।। १६ ।। नन्नानये कपडे को पसली, तीन रंग नंखाया है । [2] सूत्र निशीथमें देख पाठ तूं, क्यों इतना गंभराया है ।। इसी सूत्र में देखले बाबत, रजोहरण क्या गाया है। सी. ॥ १७ ॥ पप्पा पंचकल्याणक जिनवर, जिन आगम में पाया है । ( ३९ ) इंद्र सुरासुर मिलकर उत्सव, करके अतिहर्षाया है ।। 1 द्वीप नंदीश्वर भगवइ जंबू द्वीप पन्नती बताया है । सी० ।। १८ ।। फफ्फा फेर नहीं भगवतीमें, फांफा मार फिराया है । जंघा चारण विद्या चारण, मुनियों सीस निवाया है || नंदीश्वर में कहांसें आया, जो ज्ञानका ढेर बताया है । सी० ||१९|| बब्बा बडे बिबेकी देवा, दश वैकालिक गाया है । शुद्ध मुनिको सीस निमावे, नर गिनती नहीं आया है || तदपि ढूंढ़क ते देवनका, करना बोज बनाया है । सी० ॥ २० ॥ 1 ढूंढक क्यों निंदता है ? | तुम कहोंगे कि बूढ़ा रक्खे, तबतो सविस्तर प्रमाण दिखावो ? नहीं तो तुमेरा वकवाद मूढवणेका है ? || (१) ढूंढनी पार्वतीजीने, अपनीज्ञानदीपिकामें लिखा है किसं. १७२० में, लवजीने मुहपत्तीको मुखपर लगाई और ढूंढा नामभी पड़ा ? | [२] निशीथ सूत्रमें प्रमाण रहित रजोहरण [ ओघा ]रखनेवालोंको दंड लिखा है। है भाई माधव ढूंढक ? तूं भी अपना र जोहरणका प्रमाण ढूंढ किस वास्ते फोगट बकवाद करता है ? | ; Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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