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॥ मुनिराज अमरविजय कृत ग्रंथोंकी यादि ॥
१ धर्मना दरवाजाने जोवानी दिशा ।
शास्त्री अक्षरोंमे-कि. रू. ०-८-० आना
२ ढूंढक हृदय नेत्रांजन-कि. रू. १-४ ३ तत्त्वार्थ महासूत्र, अर्थ रत्नमाला भाषा टीका सहित,
अध्याय ४ का प्रथम भाग, थोडे दिनों में बहार पडेगा।
॥ मीलनेका पत्ता॥
१ भावनगर-जैनधर्म प्रसारक सभा ॥
२ दिल्ली-आत्मानंद जैन पुस्तक प्रचारक मंडल
ठे. नवघरेमें ॥
३ लाहौर-आत्मानंद जैन सभा ॥
४ मुंबाइ-मेघजी हीरजीकी कंपनी ठे. पायधोनी ॥
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