Book Title: Dhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Author(s): Ratanchand Dagdusa Patni
Publisher: Ratanchand Dagdusa Patni
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( १४० )
सापचाचार्य - और ग्रंथों.
पृष्ट. १४० -- १४१ तकरें - नंदीजी वाले सूत्रोंके नामसें, ग्रंथ है भी, तो वह - आचार्य कृत- साल संवत्, कत्तीका नाम, लिखा है, इस कारण प्रमाणिक नहीं है ।। पृष्ट. १४१ में है भ्राता -जिस २ सूत्रोंमेसें - पूर्व पक्षी "चेइय" शब्दको ग्रहण करके - मूर्ति पूजाका पक्ष करते है, उस २ का, मैंने सूत्र के संबंधसें-अर्थ लिख दिखाया। अपनी जूठी कुतकों का लगाना, छति अछति निंदा करना, गालीयोंका देना, स्वीकार, नहीं किया है। जूठ बोलने वाले, और गालयों देने वालेको, नीच बुद्धिवाला समजती हुं ॥
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समीक्षा - वाचक वर्ग ! ख्याल करनेकी बात है कि जो आज हजारो वर्षोंसे - हजारो ग्रंथोंकी साक्षी रूप, " जिन प्रतिमा " पूजनका पाठ चला आता है उनको जूठा ठहरानेके लिये, ढूंढनी कहती है कि हम ग्रंथोंके - गपौडे, नहीं मानते है, तो पिछे अभी थोडे दिनोपै, जगे जगें पर अपमानके भाजन रूप, अज्ञानी-जेठ मल आदि ढूंढकोंके, बनाये हुये-छप्पे, सवैयेका - प्रमाण देनेवालेको, क्या कहेंगे ? | और ढूंढनी कहती है कि जो सूत्रोंसे मिलती बात हो उसको - मानभी लेते है ।। इसमें कहनेका यह है किआजतक हजारो आचार्य. कि- जो सर्व सूत्रपाठी, धर्म धुरंधर, ममाणिक स्वरूप, महा ज्ञानकी मूर्ति रूप थे, उन महापुरुषोंका बचनको, सूत्रसे अमिलित कहकर, अब अपने आप सूत्रसें मिलानेका कहती है, सो क्या यह ढूंढमतिनी, कि, नतो जिसीको -विभक्तिका, नतो छंदका, और नतो शास्त्र विषयका भान है, सो सर्व महापुरुषोंसे - निरपेक्ष होके, सूत्रका मिलान करेगी ? । क्या कोई साक्षात् पेण पर्वत तनयाका स्वरूपको धारण करके आई है? जो सर्व सूत्रों की मिलती बात हमको दिखा देगी ? । इमतो यही कहते है कि - यहभी एक मूढोंका - मूढपणेकाही बकवाद है । क्या
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