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संसद् सदस्य (राज्य सभ)
10, डा. राजेन्द्र प्रसाद रोड,
नई दिल्ली 17.3.86
आचायरत्न श्री देशभूषण जी उत्कृष्ट दिगम्बरी साधना के ५१ वर्ष पूर्ण कर चुके हैं और इस अवसर पर इस हेतु गठित अभिनन्दन ग्रन्थ समिति १५०० पृष्ठों का अभिनन्दन ग्रन्थ निकाल रही है, यह जानकर अतीव आनन्द हुआ। जिन महापुरुषों ने आध्यात्मिक साधनाधरातल पर खड़े होकर अन्तःकरण में सर्व धर्म भाव रखकर इस देश का परिभ्रमण करके यहाँ की मूल राष्ट्रीय चेतना को ज्योति को कभी बुझने नहीं दिया, इस कंटकाकीर्ण पथ पर वे कष्ट झेलते रहे, उनकी चरणधूलि मस्तक पर रखना अपने को ही गौरवान्वित करना है। आप लोग अभिनन्दन ग्रन्थ के माध्यम से समाज को अनुपम थाती दे रहे हैं । श्रद्धायुक्त मेरा नमन स्वीकार करें।
कैलाशपति मिश्र
Member of Parliament
(Rajya Sabha)
3, Mahadev Road, New Delhi-110001
Phone : 384900 12, Maganlal Sadan, Swami Vivekanand Road, Panjim, Goa-403 001 Phones : 3699&4603
14.3.1986
पुराने समय से भारतीय जनता अपना मानवी-जीवन-व्यवहार किसी न किसी जीवन तत्त्वज्ञान के दिशा-सूर्य के प्रकाश से बनाती आ रही है। ऐसे जीवन-तत्त्वज्ञानों में जैन शासन का स्थान बहुत बड़ा रहा है। -“अहँन्नित्यथ जैनशासनरताः” । इसी परम्परा का प्रतिनिधित्व करने वाले आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज के अभिनन्दन ग्रंथ का उपक्रम करके आप स्वयं अभिनंदन के पात्र बन गये हैं। मैं अपनी श्रद्धा आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज के चरण कमलों में समर्पित करते हुए आपकी पूर्ण यशस्विता की शुभकामना करता हूँ।
पुरुषोत्तम दास काकोडकर
आस्था का अर्घ्य
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