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चौंतीस स्थान दर्शन
(१३) संजो पंचेन्द्रिय पर्याप्त-मंजी अर्थात मनसहित पंचेन्द्रिय जोध पर्याप्ति पूर्ण हो चुकने पर संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त कहलाते है।
(१४) संजी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त-उन संजी पंचेन्द्रिय जीवों को जो लभ्यपर्याप्त है या अभी निर्वृत्यपर्याप्त है, संजी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त कहते है।
सूचना-सिद्ध भगवान अतीत जीवसमास होते है।
३ पर्याप्ति पर्याप्ति--आहार वर्गणा, भाषावर्गणा, मनोवर्गणा के परमाणुवों को शरीर, इन्द्रिय आदि रूप परिणमावने की शक्ति की पूर्णता को पर्याप्ति कहते है । यह ६ होते है ।।
(१) आहार पर्याप्ति-आहार वर्गणा के परमाणओं को खल और रम भागरूप परिणमावने के कारण भूत जीव की शक्ति की पूर्णता को आहार पर्याप्ति कहते है ।
(२) शरीर पर्याप्ति-जिन परमाणुओं को खलरूप परिणमायाथा उनका हाड वगैरह कठिन अवयवरूप और जिनको रसरूप परिणमाया था उनको रुधिरादिक द्रवरूप परिणमावने को कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को शरीर पर्याप्ति कहते है।
(३) इन्द्रिय पर्याप्ति-आहार वर्गणा के परमाणुओं को इन्द्रिय के आकार परिणमावने को तथा इन्द्रिय द्वारा विषय ग्रहण करने को कारणभूत जीव की शक्ति को पूर्णता को इन्द्रिय पर्याप्ति कहते है।
(४) श्वासोच्छवास पर्याप्ति-आहारवर्गणा के परमाणुओं को श्वासोच्छवासरूप परिणमावने के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को श्वासोच्छवास पर्याप्ति कहते है।
(५) भाषा पर्याप्ति-भाषा वर्गणा के परमाणुओं को वचनरुप परिणमायने के कारण भूत जीव की शक्ति की पूर्णता को भाषा पर्याप्ति कहते है ।
(६) मन: पर्याप्ति-मनोवर्गणा के परमाणुओं को हृदयस्थान में आठ पांखुड़ाके कमलाकार मनरूप परिणमावने को तथा उसके द्वारा यथावत् विचार करने के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को मनः पर्याप्ति कहते है ।
सूचना-सिद्ध भगवान को अतीत पर्याप्त कहते है।
४.प्राण प्राण-जिनके संयोग से यह जीव जीवन अवस्था को प्राप्त हो और वियोग से मरण अवस्थाको प्राप्त हो उनको प्राण कहते है। ये १० होते है ।
सूचना-सिद्ध भगवान अतीत प्राण कहे जाते है।
५.संज्ञा संज्ञा-वांछाके संस्कार को संज्ञा कहते है । ये ४ होते है।
(१) आहार संज्ञा-आहार संबंधी वांछा के संस्कार को आहार संज्ञा कहते है ।
(२) भय संजा-भय संबंधी परिणाम के संस्कार को भय संज्ञा कहते है।
(३) मैयुन संशा-मैथुन संबंधी वांछा के संस्कार को मैथुन संज्ञा कहते है ।
(४)परिग्रह संज्ञा-परिग्रह संबंधी वांछा के संस्कार को परिग्रह संज्ञा कहते है ।
सूचना-दयाम गुणस्थान से ऊपर जीव' । अतीत संज्ञा वाले होते है।