________________
[ २५ ]
उत्तर: – पिता, माता, भगिनी, स्त्री, पुत्र मित्र, समस्त बंधुवर्ग, दासी, दास, सब तरहकी संपचि, हाथी, घोडे, कुटुंबपरिवार के लोग, अन्य पडोसी लोग, वस्त्र, आभूषण, मालाएं, वा संसारमें अन्य भी जो कुछ प्रिय और इष्ट पदार्थ हैं ये सब इस आत्मासे भिन्न हैं, यह तीनों लोकोंका राज्य भी आत्मासे भिन्न है, क्यों कि इन पदार्थोमस कोई भी पदार्थ परलोकमें साथ नहीं जाता है । सब यहाँके यहां ही पड़े रहते हैं । अतएव ये सब पदार्थ आत्मा नहीं हैं ॥। ४६ ४७ ॥
स्वकीया बांधवाः के भो परलोकानुगामिनः । प्रश्नः - फिर इस संसार में ऐसे अपने बंधु कौन हैं जो पर - लोक में भी साथ जाते हैं ?
संसारहर्त्री धृतिरेव माता, ज्ञानं पिता शांतिसुखादिदाता | स्वात्मानुभूतिर्विमला स्वभार्या, धर्मोऽस्ति बंधुः सततानुगामी ॥४८॥
क्षमा स्वदासी च शमः स्वदासः, पुलो विवेकश्च दया स्वसा हि । सखा सधर्मी मृदुता सखीति, स्वबंधवोऽमी परलोकसाथीः ॥ ४९ ॥