Book Title: Bodhamrutsar
Author(s): Kunthusagar
Publisher: Amthalal Sakalchandji Pethapur

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Page 265
________________ [२३४] नन्दनलालश्च विद्वान् मुनिर्भूत्वा सुधर्मधीः । . सुधर्मसागरो जात: सूरिकल्पः प्रपाठकः ॥९ सुधर्मध्यानदीपादिशास्त्राणां मूलकारकः । सुधर्मसागरः सोऽयं जीयाद्विद्यागुरुर्मम ॥ १० मध्यभारतके चावली गांव के रहनेवाले तोताराम के उनकी धर्मपत्नी मेवासे उत्पन्न हुआ एक धर्मात्मा सुपुत्र था नन्दनलाल उसका नाम था। वह नंदनलाल विद्वान था और सद्बुद्धि को धारण करता था। वहीं नन्दनलाल मुनिदीक्षा लेकर सुधर्मसागर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। वे आचार्य के समान सबको पढानेवाले हैं और मेरे विद्यागुरु हैं। ऐसे वे सुधर्मसागर मुनि सदा जीवित हैं ॥ ८-९-१०॥ एनापुरस्थलातप्पासरस्वत्योः सुतोत्तमः। रामचन्द्रः सुदीक्षित्वा जातोऽहं कुंथुसागरः॥११ एनापुर (बेलगांव ) के रहनेवाले सातप्पा और सरस्वतीका उत्तम पुत्र रामचन्द्र मनिदीक्षा लेकर मैं कुंयुसागर मुनि हुआ हूं॥ ११ ॥ चतुर्विंशतितीर्थेशस्तुतिः पंचगुरुस्तुतिः । चरित्रं शांतिसिंधोश्च भावना रचिता मया ॥ १२

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