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१.२३२] अथ प्रशस्तिः ।
प्रसिद्ध मूलसंघेऽस्मिन् शुद्ध सेनान्वये वरे। गच्छे पुष्करके जातो जिनसेनो महाकविः ॥१ देवेंद्रकीर्तिः संजातस्तस्य शिष्यान्वये शुभे। धर्मस्य नेता तच्छिष्यः सूरिः श्रीशांतिसागरः ॥२
इस प्रसिद्ध शुद्ध मूलसंघके सेनगण और पुष्कर, गच्छमें प्रसिद्ध आचार्य जिनसेन महाकवि हुए हैं । उन आचार्य जिनसेन की शिष्यपरंपरामें मुनिराज देवेन्द्रकीर्ति हुए हैं, और उन देवेन्द्रकीर्तिके शिष्य धर्मके मुख्य नेता आचार्य शान्तिसागर हुए हैं ॥ १-२ ॥ आसीदयं महासूरिभॊजग्रामनिवासिनः । भीमगौडस्य सत्याया सुपुत्रः सातगौडकः ॥३ मुनिदीक्षां समादाय प्राप्तः सूरिपदं क्रमात् । मम दीक्षागुरुः सोऽयं जीयादाचंद्रतारकम् ॥ ४
ये आचार्य शान्तिसागर महाराज भोज (बेलगांव ) गांवके रहने वाले पाटील भीमगौडके सुपुत्र थे, उनका नाम सातगोड था और उनकी माताका नाम सत्यवती था। उन सातगौडने मुनिदीक्षा ग्रहण कर अनु