Book Title: Bodhamrutsar
Author(s): Kunthusagar
Publisher: Amthalal Sakalchandji Pethapur

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Page 270
________________ [२३९] सिद्धिं विशुद्धिं विमलां समाधि, पुत्रादिपोत्रं सुखशान्तिकान्तिम् । शौर्य सुविद्यां सुधृतिं हि तेज:, स्वर्मोक्षलक्ष्मी विदधातु देवः ॥२४॥ अंत में वे भगवान अरहंतदेव इस ग्रंथको पढने सुननेवालोंके लिये सिद्ध अवस्था प्रदान करें, विशुद्ध और निर्मल समाधि प्रदान करें, पुत्र पौत्र देवें, सुख शांति कांति शूरवीरता, श्रेष्ठविद्या, धैर्य और तेज प्रदान करें तथा स्वर्ग मोक्षकी लक्ष्मी प्रदान करें ॥ २३॥२४॥ मोक्षं गते महावीरे सुखशान्तिप्रदायके । चतुर्विंशतिसंख्याते वा त्रिषष्ट्याधिक शते ॥२५ सिते कार्तिकपक्षे च द्वितीयायां शुभे दिने । ईडरराज्यान्तर्गते भिलोडातिसमीपगे ॥२६॥ स्थित्वा शुभमऊग्रामे वर्षायोगे शुभप्रदे। लिखितोऽयं मया ग्रंथो जीयादाचन्द्रतारकम् ॥ सुख और शांति देनेवाले भगवान महावीर स्वामीके मोक्ष जानेके बाद चौवीससी तिरेसठ वर्ष बीत जानेपर कार्तिक शुक्ल पक्षके शुभ द्वितीया के दिन ईडर राज्यके अंतर्गत भिलोडा के समीप श्रेष्ठ मऊ गांवमें कल्याण

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