________________
[ ५० ]
प्रकार जो मनुष्य विना बार बार अच्छी तरह विचार किये वचन कह देता है और विना विचार किये ही काम कर लेता है वह कुमार्गगामी पशु है और वह संसार में श्रीमान् होते हुए भी दरिद्री पहलाता है और चतुर होते हुए भी मूर्ख कहलाता है ।। ८९ ।। ९० ।।
मनुष्याणां गुरो ! केषां सफलं जन्म विद्यते ?
प्रश्नः - हे गुरो ! किन मनुष्योंका जन्म सफल माना जाता है ?
श्रद्धा सुबुद्धिजिनधर्ममागें, स्वचिन्तने स्वात्मविचारणं वा ।
येषां निजानंदपदे निषद्या, ते स्ववासे शयनं सदैव ॥ ९१ ॥ सदैव चर्यास्ति निजप्रदेशे, पूते निजानन्दरसेऽस्ति तृप्तिः । सदैव वार्ता गुणिभिश्च सार्द्धं, श्रेष्ठं च तेषां सफलं हि जन्म ॥ ९२ ॥ उत्तर: – जिनकी श्रद्धा और श्रेष्ठ बुद्धि जिनधर्म वा मोक्षमार्ग में लगी हुई है, अथवा अपने शुद्ध आत्माके चिंतनमें लगी हुई है, अथवा अपने शुद्ध आत्माके विचार