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लाताहमेवास्मि कुटुम्बकानां, रोगादिकानां प्रविनाशकर्ता। खामी जनानामहमेव नेता, पुत्रप्रपौत्रस्य विवाहकर्ता ॥११८॥ दुःखादिकानां हि भयंकराणां, सुखादिकानां च मनोहराणाम् । वस्त्रादिकानां सुमनोहराणां, धनादिकानामहमेव दाता ॥११९॥ समस्तभूमेरहमेव राजा, मया विना तेऽपि भवन्ति दीनाः । एवं विचारेण सदा प्रमत्तः, करोत्यकार्यं भववर्द्धकं च ॥१२०॥ उत्तरः- अपने समस्त कुटुंबको पालन करनेवाला मैं ही हूं, मैं ही उनके समस्त रोगोंको दूर करनेवाला हूं, मैं ही उन सबका स्वामी हूं, मैं ही नेता हूं, पुत्र, पौत्र और प्रपौत्रोंका विवाह करनेवाला भी मैं ही हूं, भयंकर दुःखादिकोंको नष्ट करनेवाला और मनोहर सुखोंको देनेवाला भी मैं ही हूं, मैं ही मनोहर वस्त्राभूषणोंको देनेवाला हूं और मैं ही धनादिकको देनेवाला हूं, मैं इस समस्त