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[८८] प्रश्न:-हे गुरो ! इस संसार में सुपात्रदानसे जीवोंको क्या फल प्राप्त होता है ?
सुपात्रदानेन च सर्वजन्तो-, भवेत्सुपुत्रोऽपि पितापि माता। बंधुश्च भार्या भगिनी च पौत्रो, देहोऽप्यरोगी परम बलायुः ॥१५९॥ षट्खण्डराज्यं धनरत्नपूर्ण, धर्मानुकूलो वरराज्यवर्गः । प्रभुत्वमाज्ञा भुवि मान्यतेति, बुद्धिः समर्था शमितुं भवाग्निम् ॥१६०॥ एतेऽपि सर्वे वरपुण्यपूरा, भवन्ति लोके समयानुसाराः । सुपात्रदानस्य शिवप्रदस्य, सर्वोत्तमा वा महिमास्ति लोके ॥१६॥ उत्तरः-सुपात्रदान देनेसे इस संसारके समस्त जीवोंको सुपुत्र, पिता, माता, भाई, बहिन, स्त्री, पौत्र आदि पूर्ण कुटुंब प्राप्त होता है, शरीर नीरोग रहता है, बल और आयु सर्वोत्तम मिलती है, धन और रत्नोंसे परिपूर्ण ऐसा छहो खंडका राज्य प्राप्त होता है, श्रेष्ठराज्य के