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बालयती दृढ़ व्रती समकिति, दुख दावानल नीर ॥३॥ गुण अनन्त भगवन्त अन्त नहीं, शशि कपूर हिम हीर । 'द्यानत' एकहु गुण हम पावें, दूर करै भव भीर ॥४॥
-द्यानतराय
प्रार्थना वीर जिन चरन पूजत, वीर जिन आश्रय रहैं। वीर नेह विचार शिवसुख, वीर धीरज को गहैं। वीर इन्द्रिय अघ घनेरे, वीर विजयी हौं सही। वीर प्रभु मुझ बसहु चित्तनित, वीर कर्म नशावही ॥
-नवलशाह वीर जयमाला
जय सार्थक नाम सुवीर नमों, जयधर्म धुरंधर वीर नमों। जय ध्यान महान तुरी चढ़के, शिव खेत लियो अति ही बढ़िके ॥ जय देव महा कृतकृत्य नमों, जय जीवउधारन व्रत्य नमों। जय अस्त्र बिना सब लोक जई, ममता तुमते प्रभु दूर गई ॥
-मनरंगलाल
जयमाल
गनधर असनिधर चक्रधर, हलधर गदाधर वरवदा । अरु चापधर विद्यासुधर, तिरसूलधर सेवहिं सदा ॥ दुःख हरन आनन्द भरन तारन तरन चरन रसाल हैं। सुकुमाल गुन-मनि-माल उन्नत भाल की जयमाल है॥ जय केवल भानु कला सदनं, भवि कोक विकाशन कंज वनं । जग जीत महा रिपु मोह हरं, रज-ज्ञान दृगांबर चूर करं ॥ प्रभु मो हिय आप सदा बसिये, जबलौं बसु कर्म नहीं नसिये। तबलौं तुम ध्यान हिये बरतो, तबलौं श्रुत चिंतन चित्तरतो॥ तबलौं व्रत चारित चाहत हौं, तबलौं शुभ भाव सुगाहत हौं । तबलौं सत्संगति नित्त रहो, तबलौं मम संजम चित्त गहो॥ - जबलौं नहिं नाश करौं अरिको, शिव नारि व समता धरिको। यह द्यो तबलौं हमको जिनजी, हम जाचतु हैं इतनी सुनजी ॥
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