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संसार के विभिन्न देशों में शाकाहार प्रचार
अन्तर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ
१९०८ ई० में इण्टरनेशनल शाकाहारी यूनियन की प्रथम बैठक जोर्जेस आजाऊ के प्रस्ताव पर ड्रेसडन में हुई थी। वेजिटेरियन सोसायटी' इंग्लैंड के सचिव अल्बर्ट ब्रोडवेट द्वारा संचालित इस बैठक में फ्रांस, नार्वे, हालैंड और जरमनी के प्रतिनिधि उपस्थित थे। १९१० ई० में ब्रसेल्स में हई तीसरी कांग्रेस में प्रति तीसरे वर्ष आयोजित करने का निश्चय किया गया। इसी के फलस्वरूप १९१३ ई० में हेग में अधिवेशन सम्पन्न हुआ। पर सन् १९१४-१८ ई. के प्रथम महायुद्ध के काल में इसकी कोई गतिविधि नहीं रही। यूं कहना उपयुक्त होगा, युद्ध के कारण दो भागों में विभाजित हो गई यूरोपीय संस्था, जिसका अब तक जुड़ाव नहीं हो पाया है। युद्ध और यूद्धांतर परिणामों से त्रस्त रही और दस वर्ष तक इस सभ्यता का कोई कार्य नहीं हो पाया । स्वीडन के प्रबुद्ध शाकाहारी जे. एल० सेक्शन के प्रधान आतिथ्य में १९२३ में स्टाक होम में फिर कांग्रेस हई। १९२७ ई० में लन्दन में, १९२९ में चेकोस्लोविया में, १९३२ ई० में हैम्बर्ग में, १९३५ ई० डेन्मार्क और १९३८ ई० में नार्वे में हुए अधिवेशनों से यूरोप में यह आन्दोलन फिर फैला । दूसरे महायुद्ध के कारण पुनः ९ वर्ष का व्यवधान आया। 'मजदाज' आन्दोलन की नेता श्रीमती गी-क्य के प्रभूत अनुदान के फलस्वरूप संस्था के प्रधान कार्यालय में पूर्णकालिक सचिव की व्यवस्था हुई। जान हनवर्थ वाकर के प्रयत्नों से संस्था को संयुक्त राष्ट्रसंघ और खाद्य एवं कृषि संगठन से मान्यता मिली।
२२वां अन्तर्राष्ट्रीय शाकाहारी सम्मेलन २८ जुलाई १९७३ से ४ अगस्त १९७३ तक रोनबी (स्वीडन) में सम्पन्न हुआ।
प्रश्न उठ सकता है कि आखिर अन्तर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ क्या उपलब्ध करना चाहता है ? निःसन्देह वह एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना चाहता है जिसमें वे लोग परस्पर जुड़ते हैं
जो जन्म अथवा स्थान की सुविधा के कारण अनायास ही मिन्न नहीं बन जाते; जो बहुधा भिन्न भाषा-भाषी व विभिन्न राष्ट्रों के वासी होते हैं; किन्तु जो एक लक्ष्य के लिए जूझे हुए हैं; और । जिनकी आशा, भय व भावनाओं में एकरूपता है।
इसका प्रमुख कार्य है शाकाहारी आचरण, जानकारी व आदर्शों के विस्तार को सम्भव बनाना । इस आंदोलन ने निश्चय ही कुछ महान सुधारों को पोषित किया है और यह उन संगठित प्रयासों का निरन्तर गवाह रहा है, जो अच्छे स्वास्थ्य, आरोग्य, अविचल सन्तोष, करुणा एवं शान्ति के लिए किये जाते रहे हैं । इसकी प्रमुख उपयोगिता में से एक है, अन्तर्राष्ट्रीय मैत्री को और अन्तर्जातीय सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाना । अमेरिका
यदि शाकाहार का अर्थ है, शाक-सब्जियों, फलों आदि का प्रमुख उपयोग किया जाना, तो कहा जा सकता है कि अमेरिका गति से इस दिशा में बढ़ रहा है । यद्यपि मांस यहां का प्रमुख खाद्य है फिर भी अमेरिकी स्वेच्छा से कई दिन मांस का प्रयोग नहीं करते।
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