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ख-६
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श्री कुन्दनलाल मलोया, साढूमल, ललितपुर-जेलयात्रा, सन् १९४१ में ६ माह की तथा १०० रु. का अर्थ दण्ड एवं १९४२ में १ वर्ष की सजा तथा १०० रु. का अर्थ-दण्ड । मलैया जी उन सपूतों में अग्रणी हैं जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपना तन-मन-धन होम किया था।
श्री शिवप्रसाद जैन जाखलौन, जि० ललितपुर-सन् ४२ में ९ माह नजरबंद । श्री बलीचन्द जैन, तालबेहट, जिला ललितपुर-जेलयाना, १९४१ में ६ माह की सजा।
श्री मोतीलाल टडया, ललितपुर--जेलयाना, ९९४२ में १ वर्ष का कठोर कारावास व १०० रु० का आर्थिक-दण्ड ।
श्री डालचन्द जैन, मंडावरा, जि. ललितपुर--जेल यात्रा, १९४२ में १ वर्ष की कठोर सजा।
इनकी देशभक्त जननी अर्थाभाव के कारण स्वयं जीविकोपार्जन में तिल-तिल आहुती देती रहीं और पुत्र को सदैव देश पर प्राणोत्सर्ग करने की प्रेरणा में गति देती रहीं।
श्री भैयालाल परवार, सैदपुर, जि. ललितपुर-१९४१ में एक माह की सजा तथा सौ रु० का अर्थ-दण्ड ।
श्री गोकुलचन्द जेन, लड़बारी बार, जि. ललितपुर-१९४१ में १ माह की सजा तथा १०० रु० का अर्थ-दण्ड ।
श्री परमानन्द, बार, जि. ललितपुर-१९४१ में १ माह की सजा, ५० रु० का अर्थदण्ड ।
श्री शीतल प्रभाव, करोंवा जि० ललितपुर--१९३२ में ६ माह की सजा। ग्रामीण नेता के रूप में आप सदैव संघर्ष का नेतृत्व करते रहे ।
श्री हरिश्चन्द्र जैन, अध्यापक, ललितपुर--(जन्म १९१८) सन् १९४१ से मंडल कांग्रेस कमेटी के उत्साही एवं सक्रिय सदस्य रहे।
__ श्री ताराचन्द्र जैन, ललितपुर–ने भी स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लिया।
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जिला झांसी
बा० शिव प्रसाद, जाखलौन-सन् ३४ ई० में कांग्रेस में आये, सन् ३७ ई० में जाखलौन के जमींदार ने बेगार नहीं देने की वजह से किसानों को तंग किया और उनके जलाने के लिए जंगल से लकड़ी देना भी बंद कर दिया तो शिव प्रसाद जी ने २०० किसानों को साथ लेकर आबादी जंगल कटवा दिया। जंगल पर जमींदार अपने सिपाहियों के साथ मय बंदूकों के गये, कलक्टर झांसी को भी तार दिया, किन्तु कांग्रेस की जीत हुई। कुम्हारों से भी जागीरदार ने बेगार में बर्तन मांगे तो उन्होंने मिट्टी खोदना बन्द कर दिया। शिवप्रसादजी ने कुम्हारों का साथ दिया, और इनकी ही जीत हुई । सन् ४० से सरकारी पंचायत बोर्ड के ३ साल तक सरपंच रहे । सन् ३४ ई० से ही स्थानीय कांग्रेस कमेटी के प्रेसीडेन्ट रहे।
भाई राजधर जैन, जाखलौन-सन् ३० ई० ले कांथ्रस में आये । यहां कांग्रेस की नींव आप ही ने डाली और सन ३२ से उक्त कांग्रेस कमेटी के मन्त्री रहे । सन् ४२ ई. के आन्दोलन में आप व बाबू शिवप्रसाद जी साथ ही साथ जेल गये और ११ माह बाद छुटे । सरकारी पंचायत बोर्ड के भी ३ साल तक पंच रहे । सन् ३७ ई. में जंगल कटवाने व कुम्हारों को मिट्टी खुदवाने में भी आपने अच्छा कार्य किया।
विशम्भर दास गार्गीय-झांसी नगर की जैन समाज के के नेता, उग्र समाज सुधारक और राष्ट्र सेवी सज्जन थे।
___पं. फूलचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री-सन् १९४० के व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय आप को एक जोरदार भाषण के सिलसिले में ललितपुर में गिरफ्तार कर लिया गया और ३ माह का कठोर कारावास तथा १००) का अर्थ-दण्ड हआ। जैन विद्यालय बनारस के छात्रों को उस आन्दोलन में काफ़ी स्फति देते रहे।
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