Book Title: Bhagavana  Mahavira Smruti Granth
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Mahavir Nirvan Samiti Lakhnou

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Page 494
________________ ख -७ [ ३१ (५) श्री कंचन बाई छात्रावास-इसकी स्थापना स्व० श्रीमती कंचनबाई द्वारा अपने द्रव्य से की गई। (६) श्री महावीर प्याऊ-यह रु. ११,००० के व्यय से ललितपुर नगर के मध्य में स्थापित की गई है। उपरोक्त नव स्थापित संस्थाओं के अतिरिक्त समाज द्वारा श्री वर्णी जैन इंटर कालिज तथा श्री कान्ति सागर दि० जैन कन्या पाठशाला पहिले से ही चलाये जा रहे हैं। (७) देवगढ़ क्षेत्र पर धर्मशाला में एक अत्यन्त कलापूर्ण मानस्तम्भ का निर्माण किया तथा धर्मशाला में तीन नवीन कमरों का निर्माण किया गया। वाराणसी संरक्षक-श्री विनोद प्रकाश साहनी, जिला अधिकारी अध्यक्ष-पं० जगन्नाथ उपाध्याय, पाली विभागाध्यक्ष, संस्कृत विश्वविद्यालय (i) महावीर जयन्ती १९७५ के अवसर पर सर्व सेवासंघ वाराणसी द्वारा 'समण सुत्त' ग्रन्थ का प्रकाशन किया गया। (ii) निर्वाण समारोह के सिलसिले में आयोजित पहिली परिचर्चा मुनि श्री बुद्धमल जी के सान्निध्य में हुई जिसमें मुख्य अतिथि जिला अधिकारी श्री साहनी थे । मुनि श्री महेन्द्र कुमार जी, पं. कैलाश चन्द, पं० खुशालचन्द गोरावाला, प्रो. जगन्नाथ उपाध्याय आदि विद्वान वक्ताओं ने परिनिर्वाण से संबद्ध विषयों पर प्रकाश डाला। (iii) भगवान महावीर के जीवन दर्शन तथा सांस्कृतिक अभियान से जनता को परिचित कराने हेतु समिति ने गत वर्षावास में मुनि श्री बुद्धमल जी, मुनि श्री आर्यनन्दि जी एवं मुनि श्री महेन्द्र कुमार जी 'प्रथम' के अनेक सार्वजनिक प्रवचनों के आयोजन किये जिनमें पूज्य मुनियों ने वर्तमान समस्याओं के सन्दर्भ में नाना प्रकार से जीवनोत्थान की प्रेरणा दी। व्यसन-मुक्ति, मिलावट विरोध, अप्रमाणिकता निवारण एवं स्वस्थ नागरिक जीवन जीने की दृष्टि से संबल पाने हेतु, शिक्षित अशिक्षित, किसान मजदूर, छान अध्यापक आदि अनेक वर्ग मुनियों के सम्पर्क में आये। (iv) १३ नवम्बर १९७४ को एक विशाल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें डा० हजारी प्रसाद द्विवेदी मुख्य वक्ता थे। (v) १४ नवम्बर १९७४ को एक विशेष समारोह नागरी नाटक मण्डली के प्रेक्षागृह में किया गया जिसका उद्घाटन बर्मा के भू. पू. प्रधान मन्त्री ऊ नू ने किया । मुख्य वक्ताओं में जिलाधिकारी श्री साहनी, श्री जगदीश अरोड़ा, ठा. जयदेव सिंह, श्री लक्ष्मी शंकर व्यास, श्री श्यामा प्रसाद प्रदीप आदि थे। (vi) १२ नवम्बर १९७' को अध्यात्म योगी श्री मुनि महेन्द्र कुमार प्रथम ने एक विशेष समारोह में जैन साधना क्रम एवं योग की सूक्ष्म विधियों की विवेचना की तथा स्मृति प्रखरता के योगिक प्रयोगों का प्रदर्शन किया। (vii) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा गठित भ० महावीरकी २५वीं निर्वाण शताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में १२ मार्च से १४ मार्च १९७५ तक भारत कला भवन तथा भारतीय महाविद्यालय में जैनकला, पुरातत्व एवं साहित्य प्रदर्शनी, व्याख्यान माला तथा सैमीनार के आयोजन किये गये। (viii) ३१ अक्तूबर से २ नवम्बर १९७५ को प्रो० निर्मलकुमार बोस स्मारक संस्थान, वाराणसी के तत्वावधान में राज्य समिति के आर्थिक सहयोग से 'जैन धर्म और संस्कृति : आधुनिक सन्दर्भ में" विषय पर एक समाजवैज्ञानिक परिसंवाद गोष्ठी आयोजित की गई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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