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(७) मेरठ विश्वविद्यालय की ओर से मेरठ में एक प्रसार व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत डा. महेन्द्र सागर प्रचंडिया अलीगढ़ तथा डा० प्रेम सागर जैन बड़ौत के व्याख्यान हुए।
(८) मेरठ में एक इन्टर कालिज भाषण प्रतियोगिता तथा एक निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
(९) भगवान महावीर के जीवन के बारे में ७५००० लघु पुस्तिकाओं का वितरण किया गया ।
जिले में अनेक शिक्षा एवं धर्मार्थ जैन संस्थाएं कार्यरत हैं। मुजफ्फरनगर
अध्यक्ष श्री योगेन्द्र नरायण, जिला अधिकारी
श्री यतीन्द्र कुमार जैन सुपुत्र स्व० ला० बलबीरचन्द्र ने जिला समिति के माध्यम से २४०० गज भूमि के प्लाट हरिजनों में निःशुल्क वितरण करने का निश्चय किया है। जिला समिति ने निश्चय किया है कि इस बस्ती का नाम “वर्द्धमानपुरम्" रखा जाय तथा इन प्लाटों का वितरण माननीय मुख्य मंत्री जी के कर कमलों द्वारा उनके इस जनपद में आगमन पर कराया जाय ।
जिला समिति की निम्नलिखित प्रमुख योजनाएं हैं जिन पर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है पर अभी पूरा नहीं हुआ है
(१) भ० महावीर के संदेशों को प्रस्तर पटों पर उत्कीर्ण करा कर जनपद के मुख्य स्थानों पर लगवाना । (२) पक्षियों की चिकित्सा के लिए एक पक्षीनिलय की स्थापना । (३) राजकीय संग्रहालय के पास चौंक का “महावीर चौंक" नामकरण करके एक फव्वारे का निर्माण । (४) मुजफ्फरनगर, शामली तथा खतौली में कीर्ती स्तम्भों का निर्माण ।
इस जनपद के विभिन्न कस्बों में जैन धर्मानुयायियों की अच्छी संख्या है। सभी स्थानों में निर्वाण महोत्सव वर्ष में सार्वजनिक कार्यक्रम किए गए तथा विद्यालयों में लेख प्रतियोगिताएं कराई गई। कानपुर
संरक्षक-श्री सरस्वती प्रकाश वातल, जिला अधिकारी अध्यक्ष श्री अविनाश चन्द्र जैन, आयकर आयुक्त, श्री उम्मेद चन्द ओसवाल, जिला जज
(१) दि. १५ अप्रैल १९७४ को “विभिन्न धर्मों में अहिंसा" सम्मेलन आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन माननीय श्री नरायण दत्त तिवारी वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश, ने किया। विभिन्न धर्मों के विद्वानों के इस अवसर पर प्रवचन हुए। उपाध्याय श्री अमर मुनि तथा मुनि श्री रूप चन्द की अम्रतवाणी का लाभ भी इस अवसर पर प्राप्त हुआ।
(२) वर्ष १९७४ की "महावीर डायरी” का प्रकाशन कराया गया जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर महापुरुषों के सदुपदेश अंकित किए गए थे।
(३) भगवान महावीर की पुण्य तिथियों पर ग्रामीण क्षेत्रों में महावीर संदेश सरल भाषा में वितरित किए गए।
(४) कानपुर नगर के प्रमुख स्थानों तथा चौराहों पर भगवान महावीर के उपदेशों के होर्डिंग्स लगाए गए।
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