Book Title: Bhagavana  Mahavira Smruti Granth
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Mahavir Nirvan Samiti Lakhnou

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Page 483
________________ २० २८ - बिजनौर में कीर्ति स्तम्भ का निर्माण राज्य समिति के आर्थिक सहयोग से बिजनौर नगर में कलेक्टरी के प्रवेश द्वार के समीप एक संगमरमर के कीर्ति स्तम्भ का निर्माण कराया गया है जिस पर भगवान महावीर का संक्षेप में जीवन परिचय एवं शिक्षाएँ अंकित की गई हैं । १९ - राष्ट्रीय कार्बेट पार्क, ढिकाला में अहिंसा-स्तम्भ का निर्माण ख - ७ नजीबाबाद, जिला विजनोर क्षेत्र की श्री महावीर निर्वाण समिति के सुझाव पर राष्ट्रीय कार्बेट पार्क ढिकाला के प्रवेश द्वार धनगढ़ी पर एक अहिंसा-स्तम्भ के निर्माण तथा प्रदर्शन कक्ष के निर्माण की योजना तैयार की गई है जिस पर एक लाख रुपये की लागत का अनुमान है। यह वन्य जन्तु उद्यान एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा वन्य जन्तु पार्क है तथा इस विशाल क्षेत्र में विभिन्न स्वभाव के हिंसक एवं अहिंसक वन्य जन्तु स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं तथा इसमें शिकार खेलना सदैव के लिए वर्जित है । हिमालय की तराई में स्थित यह विशाल उद्यान अपनी रमणीयता के कारण पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है और प्रतिवर्ष सहस्त्रों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक इसका परिभ्रमण करने के लिए आते हैं, जिसके लिए शासन की ओर से पर्याप्त सुविधा यहाँ उपलब्ध है । यहाँ पर समय-समय पर चलचित्रों की शूटिंग भी होती रहती है । शासन के वन विभाग ने इस योजना का स्वागत किया है तथा निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है । इस योजना के कार्यान्वयन के लिए श्री० के० सी० जैन, मुख्य अरण्यपाल, उ० प्र० की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्बेट पार्क अहिंसा स्तम्भ निर्माण समिति का गठन कर दिया गया है जिसने कार्य करना आरम्भ कर दिया है। राज्य समिति से भी इस योजना के लिए लगभग पचास हजार रु० का अनुदान अपेक्षित है । २० - निबन्ध प्रतियोगिता राज्य समिति की एक योजना प्रदेश के विभिन्न उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में भगवान महावीर के २५०० वें निर्वाण महोत्सव वर्ष में निम्नलिखित विषयों पर निबन्ध प्रतियोगिता आयोजित करने की थी— १ - जैन धर्म का भारतीय संस्कृति में योगदान २ - विश्व की समस्याओं का निदान — अहिंसा १३ -- शाकाहार प्रतियोगिता में सम्मिलित किये जाने वाले निबन्धों के शब्दों की संख्या सामान्तया १००० रखी गयी थी तथा प्रत्येक जिले की जिला समिति को यह निदेश दिये गये थे कि वे प्रत्येक विद्यालय में अपने यहाँ के निबन्धों का मूल्यांकन करके प्रत्येक विषय के दो सर्वश्रेष्ठ निबन्ध जिला समिति को भेजेंगे। जिला समिति विभिन्न विद्यालयों से प्राप्त निबन्धों का मूल्यांकन करके प्रत्येक विषय के २ निबन्धों को पुरस्कार देगी और तदुपरान्त इन निबन्धों को राज्य समिति को भेज देगी। राज्य समिति की कार्यकारणी उपसमिति द्वारा प्रदेश भर के प्रथम ३ निबन्धों पर प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार जो क्रमशः ५००/-, २५० /- व १२५/- रुपये देने का निर्णय लिया गया है । यह पुरस्कार नकद तथा पुस्तकों के रूप में दिया जायेगा । इस योजना के अन्तर्गत २२ जिलों से ११३ निबन्ध प्राप्त हुए हैं । २१ - सार्वजनिक पुस्तकालयों को जैन साहित्य को भेंट राज्य समिति की एक योजना प्रदेश के प्रसिद्ध सार्वजनिक पुस्तकालयों में से प्रत्येक को लगभग १,००० रु० मूल्य का जैन साहित्य भेंट करने की है, जिससे कि उन पुस्तकालयों में एक जैन कक्ष का प्रारम्भ किया जा सके । कार्यकारणी उपसमिति की बैठक दिनांक १९ अगस्त १९७४ में भेंट में दिये जाने वाले ग्रंथों की सूची तैयार करनेका कार्य श्रीचन्द सुराना, आगरा, खुशाल चन्द्र गोरेवाला, वाराणसी, पं० कैलाश चन्द शास्त्री, वाराणसी तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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